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अरे नेता जी कुछ तो दिल से बोलो - समझाविश बाबू

आज पुनः चुनाव आते ही सदाबहार,ईमानदार,दिलदार,जनता के सबसे बड़े तीमारदार,सिद्धांतों के फर्माबरदार और सबसे उम्दा कलाकार नेताओं की लाइन लग गयी है,सब के सब प्रदेश को देश को अतिसुन्दर और जनता को सुख-संपत्ति से भरपूर बना देने का भरपूर और जोरदार वादा कर रहे हैं,सिद्धांतवादी तो इतने बड़े-बड़े हैं की सत्ता में पांच साल रहने के बाद अचानक उनकी आत्मा जाग गयी,उन्हें समाज को देखकर रोना आ गया,उनकी दुर्दशा उनसे देखी नहीं गयी और वो तुरंत दूसरी पार्टी ज्वाइन कर लिए जैसे की वो पार्टी तो मसीहा बनने के लिए ही चुनाव लड़ रही है,और अब ये पूरी जान लगा देंगे समाज को ऊँचा उठाने के लिए |डायलॉग तो ऐसे बोले जा रहें हैं की जैसे की हम जहाँ से खड़े होते हैं लाइन वहीँ से शुरू होती है,मतलब वो जहाँ जाते हैं जीत वही होती है,मेरी समझ में तो ऐसे नेताओं को बार्डर पर भेज  देना चाहिए क्यूंकि ये रहेंगे तो जीत पक्की रहेगी,हर दल आज ये दिखाने में लगा है की मेरे दल में दूसरे दल से बड़े- बड़े कद्दावर नेता आ रहें हैं मैं ही सबसे ईमानदार दल हूँ जो जनता को तो सूखी रोटी छोड़ दीजिये रबड़ी-मलाई उपलब्ध कराऊंगा रोज दिन की तो गारेंटी नहीं लेता हूँ...

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