फेसबुक-ट्विटर-व्हाट्सप नियम क्यों नहीं ! - समझाविश बाबू

एक जमाना था जब लोग अपनों को या फिर अन्य लोगों को भी कोई सन्देश या पत्र भेजना होता था तो पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय, लिफाफा पर निर्भर करते थे,डाकिये का बेसब्री से इन्तजार रहता था,डाकिया को देखते ही आँखों में एक अजीब सी चमक आ जाती थी और कहीं पत्र पकड़ा देता था तो फिर बात ही अलग हो जाती थी,इतनी बेसब्री से अंतर्देशीय या लिफाफा खोलने की जल्दी रहती थी की शब्दों में नहीं व्यक्त किया जा सकता था,घर में जो सदस्य उस समय मौजूद रहते थे वो सभी उतावले रहते थे,कभी किसी को अर्जेन्ट सन्देश भेजना होता था तो टेलीग्राम का सहारा लेते थे,हाँ जब टेलीग्राम लेकर डाकिया आता था तो दिल जोर-जोर से धड़कता था क्यूंकि अक्सर कोई न कोई दुखद समाचार लेकर आता था,लेकिन पत्रों का तो कोई जवाब नहीं रहता था,यदि भाभी का पत्र हो तो देवर चुपके से सुनता रहता था की उसके बारे में क्या लिखा है,बाद में पत्र चुरा कर अपने बारे में लिखे शब्दों को कई-कई बार पढ़ता था,और उसमे जो उसको शुकून मिलता था उसे वो ही जान सकता था,वास्तव में उन दिनों की बात ही अलग थी पड़ने और लिखने में पुरे दिल की भावना ही निकाल कर रख दिया जाता था इसी लिए वो गहरे तक प्रभाव छोड़ता था,धीरे-धीरे समय बिता और टेलीफ़ोन आया लेकिन फिर भी पत्रों की महत्ता कम नहीं हुई क्यों की सभी के पास ये सुविधा उपलब्ध नहीं थी,


लेकिन जैसे-जैसे मोबाइल फ़ोन ने समाज को अपने गिरफ्त में लेना शुरू किया वैसे-वैसे पत्रों का चलन मृतप्राय हो गया,और जबसे स्मार्ट और एंड्रायड फ़ोन बाजार में आये तो सारा कुछ कल्चर ही बदल गया,अब तो हाय हेलो ऐल यू,मिस यू का जमाना आ गया,इतने शार्ट सन्देश एस एम् एस किया जाता है की पड़ने में माथा घूम जाता है,अब तो मेस्सेंजर,व्हाट्सप,फेसबुक,इंस्टाग्राम और जाने क्या-क्या आ गया है,ये अवश्य है की इसने सुचना जगत में एक क्रांति ला दी है और विदेशों में भी रह रहे अपनों को कुछ ही क्षड़ ही सही एकदम पास होने का एहसास करा देता है,वीडियो कॉलिंग द्वारा लगता ही नहीं की हम अपनों से दूर हैं,कार्यालयों के काम काज और उद्योग जगत में भी चमत्कारी लाभ मिला है,सेकंडो में सूचनाओं का आदान-प्रदान और पैसे का भी लेन-देन बिना खतरा मोल लिए हो जाता है,इन सब सुविधाओं ने लोगों को बहुत ही सहूलियत प्रदान की है और निश्चित ही बहुत ही लाभकारी साबित हुई है।इस क्रांतकारी अविष्कार ने सभी लोगों को न केवल संदेशों के द्वारा बल्कि अन्य सुविधाओं के द्वारा काफी करीब कर दिया है।

                              आज कुछ अन्य तथ्यों पर भी गहराई से गौर किया जाना बहुत आवश्यक है,सुविधा तो हमे उपरोक्त चीजों से बहुत मिला पर आज इसका दुरूपयोग भी बहुत हो रहा है,इस पर लगाम लगाया जाना बहुत ही आवश्यक है,सबसे पहले फेसबुक को ही लेते हैं जहाँ जमकर दुरपयोग किया जा रहा है,फेक आई डी बनाकर और फर्जी फोटो लगाकर पहले फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा जाता है फिर व्हाट्स अप नंबर लेकर अश्लीलता की जाती है और फिर ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाता है,मनमाने ढंग से धन की मांग की जाती है और फिर बदनाम करने की धमकी देकर लगातार धन की वसूली की जाती है,यहाँ सबसे बड़ा प्रश्न ये है की एक फेक आई डी के जरिये कैसे कोई फेसबुक अकाउंट बना लेता है और अपनी फोटो भी फर्जी लगा लेता है,चलिए ये मान लिया जाए की निजता के प्रश्न पर कोई अपना रियल फोटो नहीं लगाना चाहता है लेकिन अपनी आइडेंटिटी क्यों फर्जी रखना चाहता है इसकी कौन सी लॉजिक है,इसमें कौन सा निजता का प्रश्न उठता है,आप की मंशा सरासर गलत है आप एक संघटित रैकेट चलाना चाहते हो और कोई पकड़ न सके इसलिए सबकुछ फर्जी रखना चाहते हो ऐसा क्यों और क्यों ऐसा होने देना चाहिए,एक से एक खूबसूरत नाम से फेसबुक आई डी बनायीं जाती है जैसे की महक,रूचि,और जाने क्या-क्या,जब की पूर्ण विशवास है की ये नाम भी फर्जी होता होगा,इसके साथ जो पता जुड़ा होता है वो भी फर्जी होता है,कहीं दिल्ली,बॉम्बे,पूना आदि लिखा होता है किन्तु वो भी फर्जी ही होता है क्यूंकि यदि इनका लोकेशन ट्रेस कराया जाए तो वो बिलकुल ही अलग निकलेगा,मैने भी कई को चेक करने की कोशिस की है तो फर्जी और ब्लैकमेलिंग का जरिया ही पाया है,इसके अतरिक्त कुछ नम्बरों में इंटरनेशनल कोड लग कर आता है,अभी तक ये समझ में नहीं आया है की ये फर्जी है या कोई सत्यता भी है इसमें,क्यूंकि प्रथम दृष्ट्या फेक ही लगता है,सबसे बड़ी विडंबना है की ये बड़े स्तर पर किया जा रहा है जो ये दर्शाने के लिए काफी है की इस पर कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हो पा रही है इसी कारण से ये निडर होकर बड़े ही सीनाजोरी से ये धंधा कर रहे हैं,इसकी यदा-कदा शिकायत भी हो रही है किन्तु बदनामी के डर से बहुत लोग सामने आने से डरते हैं,जब कि इसके शिकार या यूँ कहें पीड़ित व्यक्ति बहुत है,क्यूंकि आज भी फेसबुक पर ये खेल खेला जा रहा है,अभी प्रयागराज में आये दिन समाचारपत्रों में निकल रहा है की अश्लील वीडियो बनाकर कर रहीं हैं ब्लैकमेलिंग का धंधा और कई लोग इसके शिकार हो रहें कई तो बदनामी के डर से पैसा देकर जान छुड़ाते हैं और कुछ हिम्मत कर के पुलिस के पास जाते हैं,पर पुलिस की तरफ से यही कहा जाता है की जांच करने पर नाम,पता फर्जी पाया गया आप सभी को यह सलाह दी जाती है की अनजान लड़कियों का फ्रेंड रिक्वेस्ट मत स्वीकार करें,उनके झांसे में मत आएं,ये सलाह तो बहुत अच्छी है पर ये कार्यवाही का अंत नहीं है,इससे आगे भी बढ़ना चाहिए और जिस व्हॉट्स अप नम्बर से चैटिंग हो रही है उससे उनका लोकेशन ट्रेस कर उन्हें गैंग सहित गिरफ्तार करने का भी प्रयास करना चाहिए जिससे की उनके इस आपराधिक कृत्य को शक्ति से रोका जा सके और उनके इस कमीनेपन भरे मंसूबे को रोका जा सके,यदि उन्हें इस तरह खुला छोड़ दिया जाएगा तो वो पुरे जोश-खरोश से से ये गंदे कृत्य करते रहेंगे,आखिर ये कौन सी लाचारी है की ये पकडे ही नहीं जा सकते जब की ये संभव है और बिलकुल संभव है बसर्ते इसको भी उसी गंभीरता से लिया जाए जैसे की अन्य गंभीर अपराध को लिया जाता है,इन्हे इस प्रकार इस तरह खुला नहीं छोड़ा जा सकता है,इसके अतिरिक्त यूटूब को लें यहाँ भी एक से एक फेक वीडियो चलता रहता है कभी किसी बड़े व्यक्ति के मरने कि तो कभी किसी जिम्मेदार पद धारक के इस्तीफे का और कभी बिलकुल अविश्वसनीय खबर,आखिर ये किसने अधिकार दिया है कि जो चाहो वही यूटूब पर वीडियो चला दो ये सरासर गलत और गैरजिम्मेदाराना हरकत है,जिसे देखो वही मुँह उठाये यूटूब पर वीडियो लेकर चला आ रहा है,आजकल उत्तर प्रदेश के सियासी हलचल को लेकर इस तरह के तमाम फेक वीडियो जिसकी हेडिंग ही सनसनी फ़ैलाने वाली पर झूठी होती है,ये अत्यंत आपत्तिजनक है,आखिर इसकी अनुमति कैसे दी जा सकती है,क्या कोई प्लेटफार्म ऐसा हो सकता है जहाँ कुछ भी बिना रोक-टोक के किया जा सकता है,मेरी समझ से कभी भी नहीं होना चाहिए,इसी तरह ट्विटर पर भी कहाँ से कौन सा व्यक्तव्य टैग कर दिया जा रहा है और बताया भी न जाए क्यों ये कौन सी स्वतंत्रता है,अक्सर ये देखने को मिल रहा है,अभी आपने किसान आंदोलन के समय और वर्तमान में टूलकिट्स के नाम से चर्चित हुए विषय को देखा होगा जिसे लेकर खूब वाद-प्रतिवाद हुआ था,इसे सही और गलत बताने कि होड़ मची हुई थी और आज भी एक टूलकिट्स को लेकर विवाद चल रहा है।आखिर स्वतंत्रता के नाम पर ये सब कब तक होता रहेगा,कब तक इसकी आंड लेकर आप बचते रहेंगे, नग्गापन, भोंडापन, असंवेदनशीलता, पर्ले दर्जे की अश्लीलता कभी भी आप की स्वतंत्रता की ढाल नहीं बन सकता, अगर ऐसा हो जाएगा तो फिर किसी भी मूवी को चलाने के लिए या फिर किसी भी सीरियल को चलाने के लिए किसी भी प्रमाणपत्र को लेने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी,जिसको जो मन में आएगा वही परोसेगा,जैसा की आप के फेसबुक,यूटूब,और ट्विटर पर हो रहा है,खास तौर से फेसबुक और यूटूब पर,कभी आप भी देखिये की केवल और केवल पैसा बनाने या संख्याबल का रेकॉर्ड बनाने की ही मंशा है,अगर यही है तो अत्यंत ही गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है और आप को क्यों नहीं कानूनी शिकंजे में जकड़ा जाए।भारतीय संस्कृति की सनातन परंपरा रही है की अच्छी चीजों को अपने में आत्मसात कर लेती है और फिर अत्यधिक मजबूती से सामने आती है,पर किसी को भी अपनी संस्कृति को दूषित करने का अधिकार कदापि नहीं नहीं दिया जा सकता है।     

                                        केंद्र सरकार ने जो आई टी नियम २०२१ बनाया है उसे फेसबुक,ट्विटर,व्हाट्स अप क्यों मानने को तैयार नहीं हो रहा है,नए नियमो के अनुसार सोशल मीडिया कंपनियों को किसी पोस्ट के लिए कोई शिकायत मिलने पर उसपर जांच कर कार्यवाही करनी होगी,इसके लिए सभी कंपनियों को मुख्या अनुपालन अधिकारी,नोडल अधिकारी और शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करना होगा,और इसमें ये शर्त होगा कि ये अधिकारी भारत के ही होने चाहिए,तो इसमें आपत्ति क्यों है,जिस तरह से फेसबुक,ट्विटर और व्हाट्स अप का दुरपयोग किया जा रहा है,लोगो को ब्लैकमेल किया जा रहा है उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा,क्या फेक आई डी के माधयम से कई अकाउंट खोलकर आप कि संख्या बढ़ेगी,चलिए फोटो असली न लगाएं पर नाम,पता सब कुछ फेक हो ऐसा क्यों,साथ ही एक से ग्रुप को ज्वाइन करने का रिक्वेस्ट होता है जो प्रथम दृष्टया देखने में ऐसा लगता है जैसे किसी और चीज का आमंत्रण हो,जाने क्या-क्या लिखा रहता है कि आप १५ से २० हजार एक दिन में कमाना चाहतें हैं तो आज ही ज्वाइन करें,मेंबर फीस के लिए दिए गए व्हाट्स अप नम्बर पर आएं,उनके आगे जो शब्द लिखा होता है वो भी अजीब सा जो लिखने में भी शर्म आये,ऑल इंडिया सेक्स एस्कार्ट सर्विस और जाने क्या-क्या,एक सार्वजनिक और महत्वपूर्ण प्लेटफार्म पर क्या ये उचित और नियम संगत है,जिस प्लेटफार्म से एक से एक सम्मानित और चर्चित तथा प्रसिद्ध लोग जुड़े हैं,क्या उस प्लेटफार्म पर ये सही है,ये कौन सी स्वतंत्रता है और कैसी,इसपर अंकुश तो लगना चाहिए,मात्र बोलने कि या कुछ करने कि स्वतंत्रता के अधिकार के नाम पर मर्यादाओं को तार-तार कर देना ये कौन सी स्वतंत्रता है,हमारा देश भगवान् राम के आदर्शों का देश है,यहाँ कबीर की वाणी भी है तो तुलसी,सूरदास,की भी दोहे हैं,रहीम और रसखान को भी उच्च स्थान प्राप्त है,गुरुनानक जी भी उतने ही पूज्य हैं,ये स्पष्ट है कि स्वतंत्रता के नाम पर आप इस तरह कि छूट देकर हमारी जनता से भौड़ा मजाक नहीं कर सकते,सरकार को इसकी समुचित और गहनता से जांच और निगरानी कराकर प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए,इसमें कोई ढील नहीं देना चाहिए स्वतंत्रता को आधार बनाकर अश्लीलता परोसने को किसी को अधिकार नहीं दिया जा सकता है,आज आवश्यकता है की एक टीम भारत सरकार द्वारा भी बनाया जाए जो प्रतिदिन फेसबुक,यूटूब,ट्विटर,व्हॉट्स अप की निगरानी करे और जो बेहद आपत्तिजनक सामग्री पायी जाए तो इसके लिए कानूनी नोटिस भेजी जाए,साथ ही जो प्रसिद्ध न्यूज़ चैनल हैं उन्हें अवश्य इस विषय की अपने स्तर से पड़ताल कर जनता के बीच इसकी सच्चाई उजागर करनी चाहिए जैसा की वो कई गंभीर विषयों पर कर चुके हैं,क्यूंकि जनता के बीच उनकी जबरदस्त पैठ है उनको सुनने वाले बहुत हैं,साथ उनकी पड़ताल के बाद जब सच्चाई सामने लायी जाएगी तो हर मशीनरी सक्रिय हो जायेगी और कोई न कोई ठोस कार्यवाही अमल में लायी जायेगी,क्यूंकि ये भी धीरे-धीरे ही सही समाज को न केवल प्रदूषित कर रहा है बल्कि एक गंभीर बिमारी की तरह बड़ रहा है जो अभी तक तो लाइलाज ही है। अतः सरकार और मीडिया  दोनों को इसपर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है,मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की दोनों जगह इसे जरूर ही गंभीरता से लिया जाएगा। 

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