जश्न मनाइये लोकतंत्र जीत रहा है - आज का काला सच

लोकतंत्र एक ऐसा शब्द है जिसका बड़े-बड़े विद्वानों ने विभिन्न तरीके से परिभाषित किया है,इसमें वलिआन,लार्ड ब्राइस,जॉनसन,सिले,ऑस्टीन कुछ प्रमुख नाम हैं,पर सबसे ज्यादा प्रचलित परिभाषा अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हुई जिन्होंने लोकतंत्र की परिभाषा इन शब्दों में दिया था की,''लोकतंत्र जनता का,जनता के लिए,तथा जनता द्वारा शासन है ''जहाँ भी लोकतंत्र की बात आती है ये परिभाषा खूब प्रयोग में लाया जाता है,लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि मानी गयी है,उसके अधिकार उसकी स्वतंत्रता का विशेष ख्याल रखा जाता है।यह राजनीतिक पार्टियों के लिए एक ढाल के रूप में भी काम करती हैं। 



                                       आजकल अपने देश में आये दिन चर्चा और शोर मचता है की लोकतंत्र खतरे में है,लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया है,यहाँ तक कहा जाने लगा है की अघोषित इमेरजेंसी है,इसी विषय पर पक्ष-विपक्ष में आये दिन वाद-प्रतिवाद होता है जो कभी-कभी तो सारी मर्यादाओं को भी तार-तार कर देता है। इसी प्रकार से आजकल हमारे प्रदेश में भी लोकतंत्र को लेकर बहुत ही हाय-तौबा मचा है,खासकर से जबसे जिलापंचायत और ब्लाक प्रमुख का चुनाव शुरू हुआ और समाप्त हुआ है।अब सोचिये ये शोर शराबा क्यों ?लिटने जिलापंचायत अध्यक्ष या ब्लाकप्रमुख जीते हैं उन्होंने तो जीतकर लोकतंत्र को तो मजबूत ही किया है,क्या उन्होंने लोक्तन्त्र को हराया है कदापि नहीं,यदि चुनाव में खड़े थे तो किस लिए जीतने के लिए या हारने के लिए,हार जाते तो आप उनको भला-बुरा ही कहते,अब बताइये यदि उन्होंने अपने को जिताने के लिए थोड़ा सा धन और बल वो फिर सत्ता का हो या फिर बाहुबल का हो प्रयोग किया तो कौन सा ऐसा गुनाह कर दिया की पहाड़ टूट गया,वो जब जीतेंगे तभी तो लोकतंत्र बचेगा,क्या उनके हारने से लोकतंत्र जीतेगा,आप बताइये क्या कभी कोई हारने के लिए खड़ा होता है,आप परीक्षा में टॉप किये ये देखा जाता है कैसे किये ये नहीं,बेचारे सदस्यों के बारे में कभी आप ने सोचा है,गाँव के गलियों-गलियों का धूल फांक कर लोगो की चिरौरी-मिन्नतें कर,हाथ-पैर जोड़कर किसी तरह चुनाव जीते,अब यदि उन्हें बढ़िया धन,लक्जरी गाडी मिल रही है तो छोड़ दें क्या आप छोड़ देंगे,अब हम ये देखें की किस पार्टी से लड़े थे और कहाँ वोट देने चले गए सारे आदर्शों का ठेका हमी ने ले रखा है,मेरे भाग्य से यदि छीका फूटा है तो क्यों न हम लपके,सत्ता के साथ जाना क्या गुनाह है,नदी में जिस ओर धरा बहती है उधर नाव चलकर जाना आसान है की विपरीत धारा में बह जाएँ,सत्ता से लड़कर सर फोड़वाएं इसमें कौन सी बुद्धिमानी है भाई,रुतबा भी बड़े माल भी मिले तो क्या बुरा है,आखिर अंत में लोकतंत्र ही जीता,अब ड्सत्ता पक्ष में जीता तो विपक्ष के पेट में पता नहीं क्यों मरोड़ हो रहा है आप को तो खुश होना चाहिए जब आप सत्ता में थे तो आप ने भी कुछ इसी तरह से प्रयोग करके रिकार्ड बनाया था,अब समय बदल रहा है वही तरीका तो घिसा-पिता अपनाया नहीं जाएगा,उसमे कुछ अभिनव प्रयोगकर के और आधुनिक बनाया गया कारण भी था आप के रिकार्ड को ब्रेक जो करना था,देखिये उन्होंने किया भी,अब बताइये लोकतंत्र को जितना आप ने मजबूत किया था उससे ज्यादा इन्होने मजबूत किया,जब कभी आप आइयेगा तो आप और नवीन प्रयोग करके और बेहतर लोकतंत्र को मजबूत करियेगा,इसी तरह आपलोग प्रतियोगिता करते रहिए की कौन किन-किन विधियों से लोकतंत्र को खाद-पानी देता रहेगा,अब उसमे लोकतंत्र को बचाने के लिए अगर रक्त भी निकलता है तो गर्व की बात है,क्यूंकि बचाने के लिए तो ये करना ही होगा,अब इस चीज को लोग न समझ पाएं तो क्या किया जाए,आप तो बारीकी से वाच कर ही रहे होंगे किस तरह के प्रयोग हुए हैं,कैसे परचा छीनने की प्रतियोगिता हो रही थी,क्या महिला क्या पुरुष सब बराबर थे सबको समान दृष्टि से देखा जा रहा था जो लोकतंत्र को बचाने का मूल उद्देश्य था बस उसी को सामने रखकर काम किया जा रहा था,अब इसके लिए प्रथिमिकी भी दर्ज हो जाए और जेल भी चले जाएँ तो ये गर्व की बात है,यह तो राजनीति में आने के लिए सोने में सुहागा है,अब इससे आप जब कभी आएंगे तो कितना आगे बढ़कर काम करेंगे ये आप पर निर्भर करता है,आप के नेतागण कितने उत्साह में कितना आगे बड़ जाएंगे ये देखना होगा जितना आप आगे बढ़ेंगे जितना आप और आप के गण जीत के लिए मतलब लोकतंत्र को बचाने के लिए नए-नए तरीकों की पराकाष्ठा को छुएंगे उतना ही देश और लोकतंत्र मजबूत होगा ।कुछ ऐसे सुखद छड़ आते हैं जब हम जनता को लोकतंत्र के विजय का धूमधाम से जश्न मनाना चाहिए किन्तु हमारी गलती है मना नहीं पाते,वो पल होता है जब आप संसद में या अपने-अपने विधानसभावों में अपने वेतन,भत्ते व् अन्य लाभ के लिए आवाज उठाते हैं या मांग रखते हैं तो एक अभूतपूर्व एकता देखने को मिलती है क्या सत्ता दल क्या विपक्ष सब एक सुर में सुर मिलाकर गाते हैं की मिले सुर हमारा तुम्हारा तो सुर बने हमारा और धड़ से बिल पास हो जाता है,कोई चर्चा-परिचर्चा की आवश्यकता ही नहीं पड़ती है,ये तो जनता का बिल नहीं है न की घमासान हो और ये दिखाने की कोशिस हो की हम सबसे बड़े हितैषी हैं,इसी प्रकार से जब अपराधियों को चुनाव न लड़ने देने का विषय होगा तब आप सब एक रहेंगे कोई बिल पास नहीं होगा,क्यूंकि आपको लोकतंत्र को मजबूत करना है जो बिना अपराधियों,माफियाओं के हो ही नहीं सकता,उनके पास धन भी है और बल भी है,सच भी है जितनी बुद्धिमता और प्रखरता से आप  सोचते हैं उतना हम जनता नहीं सोच पाते तभी तो आप जहाँ हैं हम न तो पहुँच पाते हैं और न पहुंचने की दुःसाहस कर सकते हैं यही कारण है की दिन प्रतिदिन हमारा लोकतंत्र मजबूत होते चला जा रहा है,क्यूंकि आज लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब चुनाव में हिंसा का ताकत का प्रयोग हो और ये तो अपराधी और माफिया यदि राजनीति में रहेंगे तो ज्यादा अच्छी तरह से प्रयोग कर पाएंगे,अब जनता के समझ में ये बात आती नहीं इसीलिए वो चाहती है की अपराधी,माफिया राजनीति से दूर रहें,पर आप लोग दिव्य दृष्टि प्राप्त दूरदर्शी हैं इसी लिए इसपर कोई बिल नहीं लाते,आप की सोच सबसे अच्छी और नेकनीयती की तथा लोकतंत्र के अत्यंत हित में होती है यही कारण है की आप के दलों को किसने कितना चंदा दिया इसको आर टी आई के तहत नहीं लाते,और ये स्वस्थ लोकतंत्र के लिए परम आवश्यक है, एक और बड़ी अच्छी परम्परा की शुरुआत हो गयी है जो अब अच्छी गति से आगे बढ़ रही है की प्रशासन भी सत्ता के साथ लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना सक्रिय योगदान देने लगा है,वो शासन के प्रति जवाबदेही को सत्ता के प्रति जवाबदेही समझने लगा है,क्यों न समझे इससे लोकतंत्र हो न हो वो जरूर मजबूत हो जाता है और लोकतंत्र की आंड में अपना तंत्र मजबूत कर लेता है,अब ये परिपाटी आगे आने वाले समय में कितनी द्रुत गति से फलेगा-फूलेगा ये तो समय ही बताएगा,पर हमें विश्वास है की ये जरूर फलेगा-फूलेगा,अभी एक राजनीतिक दल के मुखिया ने कहा की हमें यू पी के पुलिस पर भरोसा नहीं है,अरे भाई तो आप जब आएंगे तो क्या आप स्कॉटलैंड की पुलिस लाएंगे क्या,आप सभी को किसी न किसी पर भरोसा नहीं रहता चाहे सत्ता पक्ष हो चाहे विपक्ष पर जनता क्या करे ये भी तो आप बताएँगे,आप के दिखावे की नूराकुश्ती में जनता हमेशा चारो खाने चित होती है आप में से तो कोई न कोई लोकतंत्र को बचाने के लिए आ जाता है और भरपूर सत्ता का सुख भोगते हुए लोकतंत्र को बहुत ही मजबूत कर देता है की क्या कोई पहलवान मजबूत होगा,धन्य हैं आप सभी आप पूजनीय हैं,वंदनीय हैं,अकल्पनीय हैं,और हमारी सोच से बिलकुल परे हैं। 

                                              मुझे पूर्ण विश्वास है की आप लोग मिलकर नित्य नए आधुनिकतम प्रयोग करके एकदिन लोकतंत्र को इतना ज्यादा मजबूत कर देंगे की उठने के काबिल ही नहीं रह जाएगा और कहीं बिस्तरे पर ऑक्सीजन के सहारे पड़ा होगा,वैसे भी कोरोना काल में ऑक्सीजन की मारा-मारी है,एकदिन मृत्यु को प्राप्त करेगा और जनता बेचारी लोकतंत्र की लाश को काँधे पर लिए ढो रही होगी और आप सब कहीं अपने-अपने तरीके से लोकतंत्र की मजबूती का जश्न मना रहे होंगे। 


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