उजड़ते चमन बिखरते लोग - समझाविश बाबू
छोटा परिवार हो या बड़ा उसके सदस्य उसको अपने छोटे-छोटे प्रयासों से एक खूबसूरत चमन के रूप में बनाते हैं,तमाम बाधाओं और कष्टों को झेलते हुए भी अपने परिवार को छोटी-छोटी खुशियां देने का प्रयास करते रहते हैं,अपने देश के तमाम ऐसे परिवार हैं जो बमुश्किल दो वक्त की रोटी जुटा पातें हैं फिर भी सब कुछ भूलकर एक दूसरे के साथ मजबूती से खड़े रहते हैं,तमाम बीमारियां जिसमे से कुछ तो लगभग लाइलाज हो जाती हैं,उससे कोई न कोई परिवार प्रभावित हो जाता है,लेकिन सभी अपने सामर्थ्य भर देशी या अच्छी चिकित्सा अपने परिवार को देने का प्रयास करते हैं,फिर भी यदि साँसों की डोर टूट जाती है तो ये संतोष रहता है कि हम अपने पूर्ण सामर्थ्य के अनुसार इलाज किये उसके बाद भी यदि मृत्यु हो गयी तो इसमें किसी का बस नहीं है,परिवार फिर अपने जीवन को पटरी पर ले आता है और इसी तरह जीवन चलता रहता है।
आज हमलोग भी जिस तरह से बेपरवाह हो गए हैं वो भी हमारे लिए कम घातक नहीं हो रहा है,सब्जी मंडियों,किराना की दुकानों और सड़कों पर जिस तरह से भीड़ जुट जा रही है वो भी तब जब की कर्फू लगा हो,येबहुत ही दुखद तो है ही साथ ही हम खुद कोरोना को निमंत्रण दे रहे हैं की वो हमे प्रभावित करे,आज भी गले में मास्क लटकाने की आदत नहीं गयी है, सबसे बुरा तो तब लगता है जब बाइक पर मास्क गले में लटका कर गर्दन टेड़ी कर मोबाइल से बात करते हुए चले जाते हैं अगर बहुत ही आवश्यक है तो भाई रूककर बात करलो दो मिनट में कौन सा आप पहाड़ तोड़ दोगे,पर नहीं आदत से मजबूर हैं,बाइक पर तीन सवारी बैठा लेंगे और उसपर से उनमे से कोई न कोई मास्क नहीं पहना होगा ऐसा लगता की दो का पहनना ही काफी है वो तीसरे को भी कवर कर लेगा।साथ ही टीकारण के लिए जिस तरह से सेंटरों पर भीड़ उमड़ रही हैं जिस तरह की वहां की तस्वीरें टी वी चैनलों पर दिखाई जा रही है वो भी कम भयावह नहीं है,ये तो इस तरह है की हम साक्षात मौत को अपरोक्ष रूप से दावत दे रहे हैं,इसके अलावा शादियों में जिस तरह से हम कोविड नियमों की धजिय्यां उड़ा रहे हैं वो भी कम गुनाह नहीं है,ये माना की ये ख़ुशी का पल है लेकिन इस मौत के सौदागर कोरोना को देखते हुए इसमें कम से कम जितना भी आप कर सकते हो उतने में कोविड नियमो का पालन करते हुए करो,सबसे अच्छा होता की आप पांच-दस या ज्यादा सेज्यादा बीस लोग रस्म निभाकर विवाह कर आयोजन संपन्न करा लें और जब कोरोना का प्रभाव ख़त्म हो जाये तब एक दावत कर लें सबको बुला लें,समय की मांग यही है,उचित तो ये है की इस बाद के आयोजन को भी न किया जाए और जो आप की धन की बचत हो रही है उसमे कोविड से प्रभावित लोगों की मदद कर दें और बाकी धन लड़की या बहु के भविष्य के लिए सुरक्षित कर दें।कभी-कभी जन्मदिन के उत्सव की ऐसी तस्वीरें आ जाती हैं जिसमे भीड़ इकठ्ठा कर लिया जाता है और कोविड के नियमो को तार-तार कर दिया जाता है,अरे भाई जन्मदिन में बड़ों का आशीर्वाद लेकर घर में ही मन लो एक साल धूम-धाम से नहीं मनाओगे तो बिजली नहीं गिर जायेगी,बहुत ज्यादा है तो किसी दो ही कोविड प्रभावित व्यक्ति की जो आर्थिक रूप से कमजोर है उसकी मदद कर दो,एक पौधा अपने ही नाम से लगा लो,आज जिस ऑक्सीजन की कमी को लेकल त्राहि-त्राहि मची है हम उसी को समाप्त करने में लगे हैं,आज हम प्रकृति के साथ जो मनमाना छेड़-छाड़ कर रहे हैं वो ही आज हमें सबक भी सिखा रहा है,की अब भी संभल जाओ इतना उत्पात मत मचाओ की बाद में केवल और केवल रोना पड़े,इन सब के बीच जिम्मेदारों ने चुनाव कराकर बेड़ा गर्क कर दिया,अब कोई भी इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है,इसके कारण जितनी तेजी से कोरोना का विस्तार हुआ की गावों तक ये फ़ैल गया और हम इसका खामियाजा उजड़ते चमन और बिखरते लोगों के रूप में देख रहे हैं,आज जिस तरह से लोगों ने अपनों की तड़प देखी है उसको वो कभी शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते हैं,आज इतनी पीड़ादायक स्थिति है की अपनों के मृत्यु के बाद भी अपने सांत्वना देने भी नहीं जा पा रहे हैं,मेरी एक रिश्तेदार हैं जो पति-पत्नी साथ रहते थे,उनके कोई औलाद नहीं था ७० साल की उम्र थी,एक छोटा सा बच्चों का घर पर ही स्कूल चलाते थे और समय अच्छे से व्यतीत करते थे,खाना बनाने वाला लगाए थे,स्कूल के स्टाफ आती थीं मन भी लग जाता था,कोरोना ने स्कूल बंद करा दिया स्टाफ भी आना बंद हो गया,ऐसे में एक दिन दोनों को पता लगा की कोरोना से दोनों लोग संक्रमित हो गए हैं,पति की हालत बिगड़ी तो बड़ी मशक्कत के बाद उनको सरकारी हॉस्पिटल में एडमिट कराया जहाँ दूसरे दिन उनकी मृत्यु हो गयी,खुद ही शमसान पर जाकर सारी औपचारिकताएं पूरी कीं,एक भतीजा आ गया था वो भी दो दिन बाद चला गया,शुद्धि और उसके बाद का सारा कर्मकांड स्वयं ही करवाईं,तमाम खास रिश्तेदार इसी शहर में रहते हुए भी डर के मारे कोई मिलने तक नहीं गया,एक बड़े घर में अकेले किस त्रास्दी से गुजार रहीं होंगी,जीवन उनको एक बोझ लग रहा होगा ये उनका उनके जैसे सैकड़ों लोगों का जो बिखराओ है क्या इसकी जिम्मेदारी कोई लेगा,इनसे ज्यादा तो उनका दुःख होगा जिन्होंने हॉस्पिटल में बेड तक नसीब नहीं हो पाया या फिर ऑक्सीजन के न मिलने से मौत के शिकार हो गए,ये तो पक्का है की जिम्मेदार तो इसकी जिम्मेदारी लेने से रहे,ये बिलकुल सत्य है की ऐसे हजारों परिवारों की पीड़ा कोई नहीं बाँट सकता है और न ही उनके दुःख को कोई कम कर सकता है।
आज सभी जगह चाहे आपसी चरचा हो या समाचारपत्रों,न्यूज़ चैनलों पर हो इम्युनिटी बढ़ाने की बात हो रही है,विटामिन सी,डी,जिन्कोविट और जाने क्या लेने की बात की जा रही है,जैसे की गिलोय,तुलसी,दालचीनी,हल्दी,कालीमिर्च,लौंग और जाने क्या-क्या,आम आदमी कन्फ्यूज है की क्या लें क्या न लें,याद करिये वो पुराने दिन जब नाश्ता चने और दूध से शुरू होता था,शुद्ध अनाज और घी का प्रयोग करते थे,घर का रूखी-सुखी ही सही पर जो खाते थे वो मिलावटी तो नहीं ही होता था,आज आनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए बेतहासा केमिकल वाले खादों का प्रयोग,सब्जी को चमकाने के लिए रंगो का प्रयोग,फलों को पकाने के लिए केमिकल का प्रयोग, जंक फ़ूड पिज्जा,बर्गर,पास्ता पर निर्भरता,तीखे और चटक खाने का प्रयोग,ये सब हमारी इमन्युटी कैसे बड़ा पाएंगी,सुबह उठने और एक्सरसाइज करने का रिवाज लगभग ख़तम सा हो रहा है,अब देर से सोना और देर से उठना,अनियमित दिनचर्या,अनियमित खान-पान ने हमारे इम्युनिटी को पहले ही जकड़ रखा है और सोने में सुहागा है बेतहाशा बढ़ते हुए पेट्रोल,डीजल,गैस के दाम,बढ़ती महगाई और बेरोजगारी ये हमारी इम्युनिटी को बढ़ने ही नहीं देती,रही-सही कसर हमारे जिम्मेदारों ने चुनाव कराके पूरी कर दी,इसपर से पुरे देश में लाकडाउन पर चुप्पी,जिम्मेदारी पर चुप्पी,हमारे यहाँ रिवाज सा बन गया है सब कुछ घटित होने के बाद आप-धापी में चीजें दुरुस्त करने की,सामान्य परिस्थितियों में तो चल जाता था पर कोरोना ने सारी असलियत खोल के रख दिया जिसके कारण बोलने वाले भी न बोलने पर मजबूर हैं,बहुत से नहीं यहाँ दो उदहारण जो अभी के हैं उससे कुछ समझने की जरुरत है,पहला है कि एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल पर अभी दिखाया जा रहा था बिहार राज्य कि एक तस्वीर जिसमे एक राजनीतिक पार्टी के नेता के द्वारा दूसरे पार्टी के नेता के बारे में बताया जा रहा था कि लगभग चालीस एम्बुलेंस खड़ी हुई हैं और कुछ बालू धो रही हैं,इस डिबेट में जिनपर आरोप लगाया जा रहा था उनके पार्टी के प्रवक्ता इसको फेक न्यूज़ बता रहे थे,अरे भाई फेक न्यूज़ है तो आप ऍफ़ आई आर क्यों नहीं कराते,किस मुँह से जवाब देते हैं समझ में नहीं आता है,दूसरा आंकड़ेबाजी का खेल देखिये,एक प्रतिष्ठित समाचारपत्र में दोनों न्यूज़ पड़ने को मिला अलग-अलग पेज पर,एक में लिखा हुआ है कि अमुक जिला कोरोना के घटते मामले में देश में अच्छा स्थान बनाया है साथ ही ये भी न्यूज़ पड़ने को मिला कि जांच कि संख्या लगातार उस जिले में कम हो रही है,इन सब चीजों से नहीं मजबूत इच्छाशक्ति और ठोस कार्यों से जिसका असर दिखे उससे कोरोना को मात दी जा सकती है और बिखरते परिवारों के बिखराव को रोका जा सकता है।
एक और सबसे दुखद पहलु जो सामने आ रहा है वो बहुत ही शर्मनाक,दर्दनाक और अत्यंत ही दंडनीय अपराध है,वो है कोरोना महामारी में अनैतिक कार्यों से कमाई करना,जैसे कि नकली इंजेक्शन,दवाएं और असली दवा को अत्यधिक कीमत पर ब्लैक करना,आज जो समचरर पड़ने को मिला वो तो हैरान करने वाला था कि कोरोना काल में मरने वाकों के कफ़न और कपड़े चोरी कर उसे नया बनाकर बेचना,ऐसे लोगों को तो ऐसी कड़ी सजा मिलना चाहिए जो औरों के लिए नजीर बन जाए,इन सब चीजों को रोकना बहुत ही आवश्यक है।
आज समय है सभी दलों को एक साथ लाकर एक सामूहिक और अत्यंत सार्थक पहल कर देश को कोरोना से निजात दिलाने की,लड़ने को तो हमेशा समय मिलेगा पर आज देश को कोरोना से बचाना है,लोगों के उजड़ते चमन और बिखराव को रोकना है,देश के नागरिकों का जीवन सुरक्षित होगा तभी आप और सभी सुरक्षित होंगे,इस समय पक्ष-विपक्ष की राजनीति और अहम् से ऊपर उठकर देश को बचाना है क्यूंकि अभी हम दूसरी लहार के मार से कराह रहे हैं और तीसरा आने की तैयारी में है,आज काकजं को पड़ने और बचने का समय नहीं है एक दूसरे की कमिया बताने का समय नहीं है बल्कि एकजुट होका सारे प्रदेशों की समस्यों को दूर करते हुए देश को कोरोना से बचाना है,इस समय ये सोचने का वक्त नहीं है की कौन विरोधी है कौन क्या है,आज सभी दल एक साथ बैठकर देश के नागरिकों का जीवन बचाएं यही इंसानियत का,देश का,मानवता का धर्म होगा इससे बड़ा कोई भी धर्म नहीं होगा,धर्म का अर्थ ही होता है की अच्छे कार्यों को धारण करना,यही परिभाषा अपनाने की आवश्यकता है।
जय भारत जय मानवता ।।
माँ ही जीवन का आधार
माँ है सृष्टि का आधार माँ ही सारा संसार
माँ ही ममता है माँ ही है दुलार
माँ ही है सृजन माँ ही सबकी पालनहार
माँ ही विश्वास माँ ही है सत्य का आधार
माँ ही दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती माँ हे करें दुष्टों का संहार
वो अधर्मी अभागे हैं जो माँ का करें तृस्कार
उन्हें एक पल भी नहीं है जीने का अधिकार
पर माँ तो उनसे भी करे प्यार और दुलार
ऐसी माँ के चरणों में ही है सृष्टि का सार
माँ की करो पूजा वंदन और आरती बारम्बार
जबतक माँ है तभीतक है ये संसार
शत शत नमन है ऐसी माँ को जीवन उसी पर है वार
माँ तुझे प्रणाम माँ तुझे प्रणाम माँ तुझे प्रणाम।।



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