बेशर्म चीन - समझाविश बाबू [हिंदी ब्लॉग]
आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना जैसे घातक बिमारी से जूझ रहा है,सबसे अधिक वर्तमान में अपना भारत देश प्रभावित है,मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं,रोगियों की संख्या भी थमने का नाम नहीं ले रहा है,अफरा-तफरी का माहौल है,अब तक समूचे विश्व में ३५ लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है जिसमे से ३ लाख से अधिक भारत देश के लोग हैं।
आज ये समझने की भी आवश्यकता है की ये रोग कहाँ से और कैसे फैला?चीन के वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरलाजी नेशनल बायोसेफिटी लैब से ही सबसे पहले इसका पता चला और ये एक ऐसा वायरस था जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था,डाक्टर ली वेनलियांग सबसे पहले इससे दुनिया को आगाह करने का प्रयास किया था,किन्तु चीन ने उनके साथ क्या किया या उन्हें क्या हुआ ये आजतक एक रहस्य बना हुआ है,चीन ने जिस तरह से उनके आवाज को दबाने और छुपाने का प्रयास किया और उनकी मौत की सूचना प्रसारित हुई ये सब चीन के प्रति संदेह को गहरा कर देते हैं,यद्यपि जब ये रोग धीरे-धीरे समूचे विश्व को अपने घेरे में ले रहा था उस समय भी चीन के प्रति समूचे विश्व में गहरी नाराजगी के साथ जिम्मेदार भी माना जा रहा था किन्तु जिस तरह से ये रोग पूरे विश्व को अपने चपेट में ले रहा था उसी से निपटने में सभी देश मशगूल हो गए इस कारण से चीन की जिम्मेदारी की चर्चा भी थम सी गयी।जबकि यदि इस कोरोना वायरस के फैलने के परिस्थितयों का बारीकी से अध्ययन किया जाए तो चीन पूरा ही न केवल संदेह के घेरे में आएगा बल्कि पूरी तरह से कटघरे में खड़ा किया जा सकता है,पुनः एकबार इसकी चर्चा विश्व के पटल पर तेज हो गयी है,आस्ट्रेलिया के एक समाचारपत्र ने चीन के दस्तावेजों के हवाले से खुलासा किया है कि चीनी सेना २०१५ में ही कोरोना वायरस के जरिये जैविक युद्ध लड़ने कि रणनीत बना ली थी,चीनी सेना के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इसपर मिल कर काम कर रहे थे और जैविक हथियार बनाने में लगे थे,दुनिया के तमाम देश के वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि कोरोना वायरस चीन देश से फैला है।ये इससे भी स्पष्ट हो जाता है कि जिस तरह से चीन अब निश्चिंत होकर सैन्य और आर्थिक विस्तार करने में लगा है वो उसकी नीयत को स्पष्ट करता है,जहाँ पूरी दुनिया कोरोना के वायरस से लड़ने में अपना ऊर्जा वेस्ट कर रही है,विशेष तौर से अपना देश जिस तरह से इस वायरस से लड़ने में हांफ रहा है और चीन अपना मजे ले रहा है,अपनी ताकत और साम्राज्य बढ़ाने में लगा है,जिसका ज्वलंत उदाहरण अपना देश ही है जहाँ उसके सीमा विस्तार की नीति से हिंसक झड़प भी हो चुकी है और अभी भी विवाद बदस्तूर जारी है,वार्ता का दौर चलता रहता है,इसका सीधा अर्थ है की पूरी दुनिया को कोरोना में उलझाकर सबको पूरी तरह से अव्यवस्थित करके स्वयं सारा दिमाग अपने कुत्सित उद्देश्यों की पूर्ति में लगा रखा है,हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान जिससे हमेशा तनाव बना रहता है जो लगातार आंतकवादी गतिविधियों के द्वारा भारत देश को अस्थिर करने का नाकाम प्रयास करता रहता है,उसे चीन खुलकर समर्थन देता रहता है और संयुक्त राष्ट्र संघ में उसका खुल कर बचाव भी करता है,इसी प्रकार वो नेपाल को भी अपने प्रभाव में लेने का भरपूर प्रयास कर रहा है जिससे वो भारत देश के विरुद्ध उसे खड़ा कर सके पर भारत की कूटनीति और मजबूत स्थिति के कारण कामयाब नहीं हो पा रहा है,भूटान को भी प्रभावित करने का प्रयास समय-असमय करता रहता है,इसी तरह से सम्पूर्ण विश्व को कोरोना से अस्थिर करके समुद्रीय विस्तार का भी कुत्सित प्रयास कर रहा है,अभी हाल में ही समुद्र में सैन्य अभ्यास की भी सूचना मिली है,चीन का शुरू से प्रयास रहा है की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आधिपत्य स्थापित करने की और अपनी मोनोपोली बनाने की,अब इसके लिए और अधिक प्रयास कर रहा है क्यूंकि लगभग सभी देश इस समय कोरोना जैसे महामारी से जूझ रहे हैं,तमाम देशों को तो कमर तोड़ने वाली आर्थिक चोट पहुंची है जिसमे से अपना देश भी प्रमुख है,इस आर्थिक मंदी के कारण अपने देश में बेरोजगारी भी बहुत बड़ी है,इसमें सबसे अधिक देश का कमजोर तबका प्रभावित हुआ है जो अपने प्रदेश से बाहर जाकर अपनी और अपने परिवार की जीविका चलाता था या वे जो रोज कमाते और रोज खाते थे,इसी कारण से सरकार को एक भारी-भरकम धनराशि का आर्थिक पैकेज भी देना पड़ा है और दे रहा है,इसके बाद भी स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आ रहा है।
आज जो सभी देश विशेष तौर से अपना देश आर्थिक सामजिक संकट झेल रहा है और अपने नागरिकों की मौत देख रहा है इसका एक कारण ये भी है की हम इसके जिम्मेदार चीन देश को उन्मुक्त छोड़ दिए हैं जब की चीन देश को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए मुआवजा मांगना चाहिए,इसके लिए यदि अपने देश को ही लेलें तो यहाँ कल तक लगभग ३ लाख मौते हो चुकी हैं,इसे प्रति व्यक्ति एक करोड़ के हिसाब से तीस खरब रूपया,आर्थिक नुक्सान के लिए तीन लाख करोड़ और चिकित्सीय संसाधनों पर हो रहे अतिरिक्त खर्चे के लिए एक लाख करोड़ रूपये के मुआवजे के दावा चीन देश पर ठोकना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय अदालत में मुकदमा चलाना चाहिए और इसे पुरे मनोयोग से लड़ना चाहिए,इसी तरह प्रत्येक देश को अपना आकलन कराकर मुकदमा ठोकना चाहिए,इसके अतरिक्त सभी प्रभावित देशों को एकजुट होकर चीन देश पर आर्थिक और सामाजिक प्रतिबन्ध लगाना चाहिए और उसके सीमा विस्तार जैसे नापाक इरादों को मिलकर विफल करना चाहिए। ये अत्यंत ही दुखद स्थिति है की कोरोना जैसी विकराल महामारी को फ़ैलाने के लिए जिम्मेदार देश चैन से बैठा है और हम सब उससे जूझ ही नहीं रहे हैं बल्कि आर्थिक नुकसान के साथ अपूरणीय मानवी क्षति भी उठा रहे हैं,फिर क्यों न उसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा ठोका जाए,बल्कि मेरा मानना है की मुआवजे के साथ-साथ आपराधिक मुकदमा भी चलना चाहिए,आखिर क्यों भारत सहित सभी प्रभावित देश चीन के प्रति इस विषय पर कठोर नहीं हो पा रहे हैं और क्यों नहीं हम एकजुट हो पा रहे हैं जब की होना चाहिए ये समय की मांग भी है।ये बिलकुल ही सही है की चीन जिस तरह से इत्मीनान के मुद्रा में अपने देश का अनुचित हित साधने में लगा है वो उसके नापाक नीयत को ही दर्शाता है।
आज समय आ गया है इस विषय पर न केवल भारत देश बल्कि समूचे विश्व के प्रभावित देशों की कि इस पर गंभीरता से न केवल विचार करें बल्कि इसे सकारात्मक रूप से अमल में भी लावें और जो भी देश जैसे कि पाकिस्तान आदि इसमें आनाकानी के प्रयास करे तो उसे भी विश्व बिरादरी से अलग-थलग करने के प्रयास किया जाए,क्यूंकि जो जिम्मेदार समझ में आ रहा है उसे इसका खामियाजा भुगतना ही चाहिए सबके लिए एक ही कानून होना चाहिए चाहे वो कमजोर देश हो या फिर शक्तिशाली देश हो आज किसी भी शक्तिशाली देश की दादागिरी नहीं चलनी चाहिए और न ही सीनाजोरी,आज इस नीति पर अमल करने कि परम आवश्यकता है,ऐसा क्यों है की विश्व बिरादरी में भी शक्तिशाली देशों की दादागिरी चलती है,वो अपना मनमानापन किसी न किसी प्रकार से चला ही लेते हैं,इसके उदाहरण अक्सर देखने को मिलता है,अपना देश तो इसका भुक्तभोगी रहा है,जब-जब पाकिस्तान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ में कोई भी प्रस्ताव लाया गया तब-तब चीन अपना वीटो पावर लेकर खड़ा हो गया,आखिर ये कब तक चलता रहेगा,आज जब चीन ने पुरे विश्व को लगभग कोरोना वाइरस से पंगु बना दिया है ऐसे में सभी देश यदि चुप रह जाएँ तो चीन का मनोबल बढ़ता ही जाएगा और वो अपनी मनमानी करता ही रहेगा,आज इसपर सभी देशों को गंभीरता सेव विचार करने की जरुरत है,आज अमेरिका सहित कई देशों ने इसकी विश्व स्वास्थय संघटन से दूसरी जांच आगे बढ़ाने को कहा है और भारत देश ने भी इसका समर्थन किया है,यह सही भी है क्यूंकि विश्व स्वास्थय संघटन की पहली रिपोर्ट पर कई देशों ने ऊँगली उठाई थी जिसमे यह कहा गया था की कोरों वाइरस किसी लैब से फैलने की सम्भावना बहुत कम है,ये जांच पूरी मुस्तैदी से होनी चाहिए और इसमें सभी देशों को सकारात्मक सहयोग देना चाहिए और यदि चीन देश जिम्मेदार पाया जाता है तो ऊपर दी हुई साड़ी कार्यवाही सख्ती से अमल में लाना चाहिए जिससे उसे सबक सिखाया जा सके और आगे कोई अन्य हिमाकत न कर सके,आशा है कि अपना देश और सभी प्रभावित देश इसपर अमल करें और दोषी पाए जाने पर कम से कम मुआवजे की कार्यवाही अवश्य करेंगे और आपराधिक मुकदमा भी चलाएंगे।



आपकी लेखनी से समाज जीवन
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प्रासंगिक चेतना मिलती है .. 👍💐💐
dhanyavaad utsahvardhan ke liye
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