आप तो जीत गए ? - समझाविश बाबू

कितनी बेसब्री से राजनीतिक दलों को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का इन्तजार होगा,हो भी क्यों न बड़ी मेहनत किये हैं,पूरी ताकत झोंक दिए हैं,गद्दी की चाहत तो सभी को रहती है,सत्ता सुख परम और चरम सुख है,उसे प्राप्त करना ही सबसे अहम् और प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए,सत्ता आ जाये फिर कोई भी चला जाये,जनता बेहाल हो जाये,बेबस हो जाये उसे बाद में देखा जाएगा,आज वो दिन करीब भी आ गया है,२ मई इन राजनीतिक दलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है,क्यूंकि इनकी प्रतियोगी परीक्षा यही है,इसमें सफलता मिल जाएगी तो फिर बाद में जनता की भी सुधि लेलेंगे,ये बाद की चीज है।


ये ही दौर हमेशा चलता रहा,और चलता रहेगा,इसे हम भी देखने को मजबूर रहते थे,लेकिन आज इस महामारी ने इन सबकी पोल खोल के रख दिया है,ये तो निश्चित है की कोई न कोई तो जीतेगा ही,लेकिन ये जीत आपकी जीत न होक हार होगी,क्यूंकि जिस तरह से कोरोना ने देश को गिरफ्त में लिया और हमारी तैयारियों का पोल ही नहीं खोला बल्कि नंगा कर दिया,जो अफरा-तफरी मची है,जिंदगी बचाने की जद्दोजहद हो रही है और सुविधाओं  के अभाव में बेबस निगाहों  से अपनों को मौत के मुँह जाते हुए देख रहे हैं ये आप की विजय नहीं घोर पराजय होगी,लेकिन आप सब ये कहाँ समझोगे,अगर समझते तो आज ये हाल नहीं होता,लेकिन आप लोग तो अभी एक्जीटपोल का मजा लीजिये फिर दो मई को जीत का रसास्वादन करिये,ये तो आपदा आयी है आज है कल फिर चली जायेगी जनता भी भूल जाएगी,आप तो भूल ही जाएंगे।यहाँ तो सभी के मन में ये है की आज उसकी बारी थी कल किसकी बारी होगी,बड़े चहरे से लेकर आमजन कब कौन कोरोना का शिकार हो जाएगा कोई नहीं जानता है,दिन,घंटे,मिनट नहीं सेकण्ड भी काटना भरी हो रहा है,कब कौन सा पल मौत का पैगाम लाये,कोरोना से उतना डर नहीं जितना आपकी जो घोर बदइंतजामी है उससे लग रहा है,कहाँ बेड मिलेगा,बेड मिला तो ऑक्सीजन और रेडमेसियर इंजेक्शन और दवा मिलेगा,ये ही सबसे ज्यादा मन में भयावह स्थिति उत्पन्न कर रही है,लेकिन दो मई के बाद तो आपलोग और भी व्यस्त हो सकते हो क्यूंकि यदि क्लियर मेजॉरिटी नहीं मिली तो जोड़-तोड़ में व्यस्त होना पड़ेगा,वो ज्यादा और आपदा से भी जरुरी काम होगा,ये आंकड़ा बता दिया जाएगा की मृत्यु दर कम है ठीक  होने वालों की प्रतिशत ज्यादा है,सब ठीक-ठाक है,सारे  पुख्ता इंतजाम कर लिए गए हैं,इम्पोर्ट भी किया जा रहा है,प्लांट पर प्लांट लग रहे हैं,कहीं कोई कमी नहीं है है,आल इज वेल है,ये अलग  बात है की वेल कूंआ  वाला है या कुछ और है,जनता तो जान रही है की इधर कूंआ तो उधर खाई है।एक बात हमारे कभी समझ में नहीं आयी की आप ही लोग सदैव जीतते हैं और बेचारी जनता हमेशा हारती है,जनता की एक ऐसी टीम है की उसे कभी आप के तो कभी दूसरे की टीम से हारनी ही पड़ती है,ये अलग बात है की उसे हमेशा खेलने के पहले यही बताया और विश्वास दिलाया जाता है की हमेशा जनता की जीत होगी और इसी मृगतृष्णा में वो जीता रहता है कस्तूरी उसे कभी नहीं मिलती,वो तो हमेशा आप लोग ही ले जाते हो,कभी गरीबी,कभी महगाई,कभी सूखा,कभी बाढ़ और अब कोरोना मरना हर दशा में जनता को ही है,और आप का चुनाव तो ऐसा हो गया है की हर साल दो साल पर कहीं न कहीं तो होगा हीऔर आप लोगों की गणित,और जाने क्या-क्या शुरू हो जायेगा,जनता ऐसे ही मरती रहेगी,देश भी आप ही लोगों के जीत हार पर टिका है ऐसा लगता है,क्यूंकि जो हाल इस समय देश का दिख रहा है वो रामराज्य का तो नहीं ही है,किस राज्य का है ये आप लोग बेहतर बता सकते हैं,लेकिन आपलोग नहीं बोलेंगे,क्यूंकि बोलने में आप लोगों के तो फूल झड़ते हैं ये अलग बात है की जमीन पर कांटे ही कांटे गिरते हैं जिस पर जनता चल कर लहूलुहान होती है,मरहम भी स्वयं ढूढ़ना पड़ता है,आखिर ये कबतक चलेगा,कबतक हम खुशफहमी में जीते रहेंगे की सब अच्छा होने वाला है,कब तक हम आप लोगों के दिखाए गए सब्जबाग में घूमते रहेंगे,कभी आप कभी वो कभी ये लेकिन स्थिति कमोबेश वही की वही,आप की नजर में वो,उनकी नजर में आप,किसी के नजर में कोई और जिम्मेदार ठहराया जाएगा,लेकिन उससे जनता को क्या लेना देना,एक बात मेरे समझ में नहीं आती है की १९४५ ईशवी में जापान देश परमाणु बम के हमले का शिकार हुआ था किन्तु उसके बाद आज वो विश्व का अत्याधुनिक देश और विकसित देश माना जाता है,अगर आबादी का रोना है तो चीन का उदहारण ले लीजिये,तो फिर ७३ साल में हमने इतनी प्रगति क्यों नहीं की,बस एक दूसरे पर ठीकरा ही फोड़ते रह गए,और तरह-तरह के बहाने ढूंढ़ते रह गए,मानिये या न मानिये कारण ये भी है की केवल सत्ता प्राप्त करना और उसका सुख भोगना ही परम उद्देश्य रहा,जनता तो प्रथम उद्देश्य रहा नहीं,यही कारण रहा की हम वो मुकाम नहीं हासिल कर सके जो होना चाहिए था,एक और प्रमुख कारण भ्रष्टाचार भी है,आज वो इस कदर हावी हो चूका है की देश को दीमक के रूप में खोखला  करने में लगा है,छोटे से लेकर बड़े-बड़े घोटाले हुए और हो रहे हैं पर कार्यवाही जो भी हो नुक्सान तो देश का ही होता है,जनता की ही कमाई मलाई की तरह कोई और खा जाता है,छोटे से बड़े स्तर पर इसके सैकड़ो उदाहरण मिल जाएंगे,आप अपने आस-पास स्थित किसी भी विभाग को देख लीजिये वहां काम कैसे होता है किसी से छुपा नहीं है,सबसे सरल और त्वरित काम करने का जरिया रिश्वत ही होता है,और हमारे जिम्मेदार सब ठीक है कहीं भ्रष्टाचार नहीं है यही कहते रहेंगे,आप सभी खुद कभी न कभी किसी काम से किसी न किसी कार्यालय तो गए ही होंगे,आप स्वयं देखे होंगे कियनि ईमानदारी से काम हो रहा होगा,ये भी हमारे स्वास्थय विभाग की जो पोल आज आपदा के समय खुली है एक प्रमुख कारण है,मलाई कहते रहे ये तो पता नहीं था की इतनी भीषण आपदा आएगी,और उनके विभाग को नंगा कर जाएगी,हमारे यहाँ ऐसे ही काम होता है की खिजाब लगा के बाल रंग लो,मेकअप करके चहेरा खूबसूरत बना लो,लेकिन बारिश में यदि मेकअप धूल गया तो सच्चाई सामने आ जायेगी,वैसे ही आज हुआ है,जिम्मेदारों के असली चेहरे जनता के सामने आ गए,अब भी खूब प्रयास हो रहा है किन्तु मेकअप के पहले का चेहरा दिखने के बाद कोई फर्क नहीं पड़ता है।इस कोरोना के महामारी ने सबके असली चेहरे सामने ला दिए हैं,इसमें विपक्ष,सत्ता पक्ष सभी शामिल हैं। 

                                      आज हमें और आप को सोचना होगा कि हमारी जो सबसे बुनियादी जरुरत है शिक्षा और स्वास्थय क्यों तिहत्तर साल बाद भी सबसे कमजोर है,इसका एक प्रमुख कारण है कि शिक्षा कि गुडवत्ता जितनी टॉप क्लास कि होगी उतने ही हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगे और अपने प्रतिनिधियों को कसौटी पर अच्छी तरह परखेंगे,तो हमें ऐसी चीज क्यों दी जाएगी कि हम मजबूत हो जाएँ,और अपने अधिकारों को अच्छी तरह समझने लगें तथा इनकी कारगुजारियों को भी,जहाँ तक स्वास्थय विभाग का प्रश्न है यहाँ किसी ने अच्छे से ध्यान नहीं दिया और यहाँ भ्रष्टाचार का भरपूर बोलबाला था।आज हमारी ये स्थिति है खासतौर से हम जिस प्रदेश उत्तर प्रदेश में रहते हैं वहां लगता है कि हम सरकारी हॉस्पिटल में नहीं बल्कि ऐसी जगह जा रहे हैं कि जहाँ नाम सरकारी है जबकि आधे से ज्यादा चीजों के लिए आपको बाहर पर निर्भर होना पड़ेगा,आज अगर आपदा नहीं आयी होती तो हमारे सामने इनकी और जिम्मेदारों कि सच्चाई भी सामने नहीं आती,हम स्वास्थय सम्बन्धी मूलभूत चीज भी नहीं उपलब्ध करा पा रहे हैं,और उसपर से एक दूसरे पर दोषारोपण करने में लगे हैं,उसपर से अकड़ ये कि हम सम्पूर्ण लाकडाउन भी दस-बारह दिन का भी नहीं लगाएंगे,सब ठीक-ठाक है कहीं किसी चीज कि कमी नहीं है,मुझे ये नहीं पता चलता है कि इनके पास कौन सा चश्मा है जिससे ये देखते हैं,काश वो चश्मा सभी को बाँट देते कम से कम कुछ देर ही सही हम भी अच्छा-अच्छा देख लेते। 

                              एक और यहाँ महत्वपूर्ण तथ्य है जिस पर चर्चा करना अत्यावश्यक है वो है जीविका के स्थायी साधन मुहैया कराना,तिहत्तर साल से केवल और केवल यही चल रहा है कि हम ये-ये चीजें मुफ्त देंगे,अनाज लेलो,पेंशन लेलो,तरह-तरह के अनुदान ले लो,लेकिन रोजगार के स्थायी समाधान मत मागो वो हम दे देंगे तो फिर आप ज्यादा शुकुन में आ जाओगे ज्यादा बुद्धि लगाओगे चुनाव में इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा जो हम होने नहीं देंगे,आप के दिमाग में तो हम धर्म,जाति,का कीड़ा घुसाएँगे उसी में उलझे रहिये और मेरा उल्लू सीधा होने दीजिये,हम आप को बेहतरीन से बेहतरीन नारों,वादों और जुमलों से भरमाएंगे और हमे पूर्ण विश्वास है कि आप उसी के भावावेश में आकर हमे राजसिंहासन पर पहुचायेगे,यही दौर चलता रहेगा,हम राज करते रहेंगे और आप ऐसे ही भ्रमित होकर सपनो में जीते रहेंगे।

                                               आज हमें और आप को ये सोचना होगा कि कबतक हम भ्रमित होते रहेंगे,कबतक हम लुटते और पिटते रहेंगे,आज की आपदा में भी अगर हमारा आँख नहीं खुला तो कब खुलेगा,आज हम अपनों को खोते हुए बेबस देख रहे हैं,मौत तो सबकी एक न एक दिन आनी है,लेकिन हम उन्हें दवा,ऑक्सीजन,और हॉस्पिटल के अभाव में मरते हुए देखें ये बिलकुल असहनीय है,आज इसकी जिम्मेदारी तो हमें फिक्स करनी ही होगी और बताना भी होगा की सबकी असलियत खुल गयी है,आप सभी के असली चेहरों के दर्शन हो गए हैं,याद रखियेगा हम माफ़ नहीं करने वाले।आज हमारे ये समझ में आ जाना चाहिए की धर्म,जाति इससे हमारा कोई भला नहीं होने वाला है कोरोना से आने वाली मौत किसी की जाति और धर्म नहीं देख रही है,बेबसी के शिकार सभी हो रहे हैं,तो फिर हम ये क्यों न सोचें की हम सब भारतीय हैं और कुछ नहीं,सबकी आधारभूत जरुरत एक है हम सब को वो चाहिए,जो देगा वो राज करेगा अन्यथा नहीं। 

                       जय हिन्द-जय भारत ।।

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