नजारा मेरे चैनल डिबेट का - समझाविश बाबू - [हिंदी ब्लॉग]

आजकल १० चैनल खोलो तो नौ चैनलों में किसी  न किसी टॉपिक को लेकर डिबेट चल रहा होता  है ,कभी-कभी तो एकदम फ़िल्मी अंदाज हो जाता है, एक्शन, मनोरंजन, कॉमेडी, इमोशन से भरपूर,समझ में भले कम आये पर मजा खूब आता है,इसी सबको देखते हुए मैंने भी एक रिहल्सल करने का प्रयास किया है,देखिये कुछ ज्वलंत टॉपिक पर पार्टी नम्बर १,२,३,शामिल हैं ये सब्जी में आलू  की  तरह  हैं इनको सभी टॉपिक में शामिल करना मज़बूरी होता है, कुछ अलग से शामिल होते हैं जो टॉपिक पर निर्भर करता है,जैसे की हमारा पहला टॉपिक है जो इस समय का सबसे ज्वलंत समस्या है किसान आंदोलन  इसमें ४ व् 5 भी शामिल रहेंगे,४ किसान नेता और 5 विशेषज्ञ रहेंगे, इसमें ऐ भी जो मैं हूँ रहूँगा,अब देखिये डिबेट शुरू होने जा रहा है ------- 



          ऐ-हाँ बताइये १ आप की आखिर ये आंदोलन कबतक चलता रहेगा,कब तक किसान यूँही सड़को पर बैठे  रहेंगे,केवल वार्ता पर वार्ता हो रही है क्यों? 

१--देखिये ऐ जी हमलोग तो हमेशा से किसान को भगवान् मानते हैं,हमने जो नीति बनायीं है वो उनके हित में बनाई है,उनके आय को वो दुगुना कर देगा उनको भरमाया जा रहा है पार्टी नम्बर दो उन्हें भड़का रहा है ये उन्ही का आंदोलन है समझ लीजिये,उनके सबसे बड़े लीडर जो खेती-किसानी के बारे में कुछ भी नहीं जानते वो भी देश से बाहर बैठ कर भी ट्वीट कर आग में घी  डाल रहे हैं ४ को ये बात समझनी चाहिए,

२--देखिये ऐ  जी पार्टी नम्बर एक हमेशा से देश को भ्रमित किये हुए है केवल दो के फायदे के लिए ही ये नीति बनायीं गयी है,सभी ये बात जानते हैं किसान मर रहा है पर इनके कान पर जूं भी नहीं रेंग रहा है,ये देश को बर्बाद कर देंगे,ये काला कानून है।दो कौन है ये पूरा देश जानता है। 

३--किसान कानून जो बनाया गया है ये किसानो से जमीन छीन लेगा,देखिये उत्तर प्रदेश में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार है,वहां किसानो को बहुत दिक्कत है,तभी ऐ ने टोका की अरे भाई ये देश की समस्या पर बात चल रहा है आप उत्तर प्रदेश पर क्यों बात कर रहें हैं,पार्टी नम्बर दो तपाक से बोलते हैं की आप समझ नहीं रहे हैं उत्तर प्रदेश को जोड़ना बहुत जरुरी है,ऐ फिर टोकता है की उत्तर प्रदेश में तो आंदोलन का प्रभाव ज्यादा है नहीं देश की बात करिये,ये सिंधु बार्डर की बात हो रही है ये तो जानते ही होंगे की ये कहाँ है,जी आप बीच में बहुत टोकते हैं,उत्तर प्रदेश में समस्या ही समस्या है,किसान की कोई भी नीति अभी तक किसी ने अच्छी नहीं बनायीं,हमें मौका मिलने दीजिये ऐसी नीति बनाएंगे की क्या बताएं अभी नहीं बता सकते मौका मिलने दीजिये।

४--मेरी बात को ध्यान से सुनियेगा ऐ जी,ये किसान के हित पर बनाया गया कानून किसानो का डेथ वारंट होगा,इससे किसानो की जमीन छिन जाएगी,ये दो बड़े पूंजीपतियों को फ़ायदा पहुंचाने वाला काला  कानून है,तभी ऐ के द्वारा पूछा जाता है की संशोधन भी तो हो सकता है,पुनः ४ द्वारा कहा जाता है की नहीं संशोधन हमें मंजूर नहीं,केवल और केवल निरस्त ही हमें मंजूर है,फिर ऐ कहता है की वार्ता का क्या मतलब,४ बोलता है की हम तो जाते हैं की वो निरस्त का आदेश हमें थमा दें,ऐ-तो जाने की क्या जरुरत ये तो कहीं भी पहुंचा दिया जाएग,ऐ-ये तो बता दीजिये इसमें कोई प्राविधान है जो बदलने से काम चल जाए आप ने तो पूरा बिल पढ़ लिया होगा,४-मैं बस इतना जनता हूँ की पूरा का पूरा बिल निरस्त करना होगा चाहे आज करें या २०२४ में करें हम बैठे रहेंगे,ऐ-तो ये बताइये आखिर बैठने में पैसा तो बहुत खर्च होगा कहाँ से आएगा,४--हमारे यहाँ सब किसान भाई बहुत चंदा दे रहे हैं और ये हमारी समस्या है,इसे क्यों बताएं?

५-देखिये किसान कानून पर वार्ता के जरिये ही हल निकाला जा सकता है,इसमें संशोधन करके,ऍम एस पी  की गारंटी  देकर और किसानो को कानूनी सहमति देकर की उनकी जमीन कोई नहीं ले सकता,केवल निरस्त पर अड़े रहना ठीक नहीं है,इससे तो समाधान नहीं निकलेगा,ये बात दोनों को समझना चाहिए।

४--ये ५ जो बोल रहे हैं ये १ के ही ग्रुप के हैं ये किसानो के हित की बात कर ही नहीं सकते,हमें निरस्त,निरस्त,निरस्त ही चाहिए,हम बैठे हैं,बैठे रहेंगे,२०२४ तक बैठे रहेंगे।

१--देखिये ऐ जी इनकी ये हटधर्मिता है हम इनके हित के लिए कुछ भी कर सकते हैं बस निरस्त के अलावा,ये तो मान जायेंगे लेकिन इनके पीछे पार्टी नम्बर दो लगी हुई है वो अपनी जमीन तलाश रही है,हम भी २०२४ तक वार्ता करने को तैयार हैं। 

२--देखिये १ का आरोप बेबुनियाद  और निराधार है,हमलोगों से किसानो का दर्द देखा नहीं जा रहा है सच पूछिए तो हमारे नेता जब भी या यूँ कहें सोते जागते ही इन्ही के बारे में सोचते हैं और उनके आंसू निकल आते हैं जो एक सैलाब बनता जा रहा है, हम मजबूती से  इनका साथ देंगे,ऐ--आप भी तो पचासों साल सत्ता में रहे तो आप ही कुछ ऐसा कर दिए होते की आज ये नौबत ही नहीं आती,२--अरे हमने बहुत करना चाहा लेकिन तब विपक्षी १ ने हमें कुछ करने नहीं दिया अब हम करेंगे आंदोलन में साथ रहकर किसी न किसी का तो फ़ायदा होगा ही।इसी लिए हम शिद्दत से लगे हैं ये हमारे लिए सबसे बड़ा अवसर है,किसान से बड़ा हमारे लिए कोई नहीं हो सकता है।ऐ-जब आप सत्ता में थे तो विपक्षी आप को कुछ करने नहीं दिए आप भी तो वैसा करने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं,२--नहीं ये तो चंद पूंजीपतियों की सरकार है,हम गरीबों के सरकार हैं हम किसानो के लिए कुछ भी कर जायेंगे,१--किसानो के लिए कर जायेंगे की अपनी रोटी सेकेंगे,आप की सरकार तो भ्रष्टाचार और घोटाले की सरकार थी,आप किसानो को बरगला रहे हैं,हम ऐसा कानून बनाये हैं की किसानो की किस्मत चमक  जाएगी,वो साहेब बन जायेंगे,लेकिन असली रोड़ा आप बने हुए हैं। 

ऐ--४ आप बताये ये दोनों लोगों को तो नूरा कुश्ती खेलने में महारत हासिल है,आप सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाये हुए समिति के सामने पेश हो कर तो देखिये,क्या होता है,४--नहीं हम पेश नहीं होंगे,हम सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे,हमें तो जी निरस्त चाहिए,वो कोई दे दे,ऐ-अरे भाई ये तो जिद्द है,और २६ जनवरी को भी आप रैली निकालेंगे,क्या ये उचित रहेगा?४--देखिये ऐ जी हम तो निकालेंगे,हमें पता है कम से कम १००० किसान मारे जायेंगे,ऐ--ये आप को कहाँ से पता,४--हमें पता है जी,ऐ--जब पता है तो मत निकालिये,४--नहीं हम तो निकालेंगे भी और निरस्त भी करवाएंगे,चाहे २०२४ में हो चाहे अब हो हमें कोई दिक्कत नहीं है हम पूरी तैयारी से आएं हैं,ऐ--ये तो बालहट हो गया की नहीं हम तो ये ही लेकर रहेंगे,बात फिर कहाँ से बनेगी,४--जी हम कुछ नहीं जानते यदि निरस्त नहीं हुआ तो हम २६ जनवरी को १०००००,ट्रैक्टर की रैली निकालेंगे।ऐ--एक आखिरी सवाल १ आपसे है कि यदि किसान बिल इतना अच्छा है तो फिर आपके समझाने  में कहाँ चूक हुई कि आज ये विकराल स्थिति उत्पन्न  हुई,आप भी झुकने  को तैयार नहीं हैं तो इन्हे  मना कर उठाने कि जिम्मेदारी किसकी  है?१--देखिये हमने खूब समझाया है इसी लिए पूरे देश में इसका प्रभाव नहीं है मात्र कुछ जगहों पर ही है,जिसे पार्टी नम्बर २  हवा दे रहा है हम संशोधन के लिए तैयार हैं,और एक बात और समझने कि जरुरत है कि इसमें कुछ देश विरोधी ताकत भी लग गयी हैं।ऐ- अरे भाई कोई लग गया हो तो भी कौन समाधान करेगा,किसकी जिम्मेदारी है,आप और पार्टी नम्बर दो लड़ते रहेंगे और किसान क्या करेंगे,१--हमलोग लगातार  देख रहे हैं,सिंधु बार्डर को और चिंतित भी हैं पर किसान मान नहीं रहे हैं,किसान क्या किसान नेता या यूँ कहें पार्टी नम्बर २  नहीं मान रही है वही खेल खेल रहें हैं,हमें उम्मीद है अगली वार्ता में समाधान हो जाएगा।

ऐ-भाई ४ आप बताएं क्या होगा,कबतक ऐसे चलेगा,कब तक हम ऐसे एक ही टॉपिक पर डिबेट करते रहेंगे,और भी तो काम है हमें,एक ही चीज दिखते-दिखते और पब्लिक देखते-देखते बोर हो जायेगा,मानेगे या नहीं,४--भाई हम तो २०२४ तक कि तैयारी किये हैं,हमें कोई जल्दी नहीं है,डेट पर वार्ता के लिए जाते रहेंगे,लेकिन निरस्त से नीचे नहीं,निरस्त करना ही पड़ेगा,ऐ--ये २०२४ क्या है,अरे भाई तब चुनाव होगा तब देख लेंगे,ऐ--इससे आप सभी को तो कष्ट होगा,किसान अपनी खेती-बाड़ी करेंगे या फिर धरने पर ही बैठे रहेंगे,४--धरने पर ही बैठेंगे निरस्त,निरस्त करना होगा चाहे आज या कल या २०२४ में। 

                                            ये था डिबेट जिसका सार कुछ नहीं निकला,केवल एक सीरियल कि तरह चलता रहा,सब अपना-अपना पात्र निभा के अपने-अपने स्थान  पर चले गए,फिर आएंगे,लेकिन जनता जो परेशान है उसकी चिंता किसी को नहीं है,देश कि चिंता करने वाले नागरिक व्यर्थ  में अपना खून जला रहे हैं सोच-सोच के,और ये अपनी ढपली  अपना राग खेल रहे हैं,क्या ऐसे ही चलता रहेगा सभ अपनी-अपनी ढपली अपना राग गा रहें हैं,किसी कि मूछ नीचे न हो भले देश में गहरी चिंता बनी रहे,देश से बड़ा अपना स्वाभिमान है,देखते रहिये ये सीरियल कबतक चलता रहेगा,यहाँ होड़ लगा है कि हम सबसे बड़े जिद्दी हैं और इसी में कोढ़ में खाज है विपक्ष कि रोटी सेकने कि राजनीति,चलिए कुछ भी हो सब अपनी-अपनी मूछे बरक़रार रखे,चाहे वो किसान नेता हों या फिर सरकार। 

                     ये हमने एक प्रयास या यूँ कहें कोशिश कि है की आप सभी लोग अपना मंतव्य दे सकें कि ये सही चित्र प्रस्तुत करता है कि नहीं,आप के विचार का मुझे इन्तजार रहेगा। 


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