किसका टाइम आएगा? - समझाविश बाबू - हिंदी ब्लॉग

समय हमेशा से बलवान रहा है,जबसे संसार है तबसे समय है और हमेशा रहेगा।जिसका समय अच्छा चल रहा होता है उसे समय का अहसास ही नहीं हो पाता और समय तेजी से बीतता चला जाता है और वह खुशियों के घोड़े पर सवार होकर आनंद लेता रहता है,जिसका समय ख़राब चल रहा होता है उसे घड़ी के सेकंड की सुई का भी खिसकना भारी  लगता है,उसे लगता है की समय थम सा गया है,और घड़ी की सुई अटक गयी है।साथ ही वह कभी किस्मत को तो कभी घर वाले को तो कभी बहार वाले को या फिर ले दे के ऊपर वाले को दोष देता है।यही से उसका दुर्दिन समाप्त होने का नाम ही नहीं लेता क्यूंकि वह केवल दूसरे के ऊपर ही दोष मढ़ने  में लगा रहता है।



                           आजकल बड़ी तेजी से समय के ऊपर गाने पिक्चर आदि प्रचलित हो रहे हैं,जैसे की ''अपना टाइम आएगा''।वास्तव में ये सुनने में बहुत ही अच्छा लगता है,और कुछ छड़ के लिए पुरे शरीर में उत्साह भर जाता है,हाँ अगर ये हिट हो जाता है तो बनाने वाले का टाइम जरूर आ जाता है,बाकी जनता तो ये गाते हुए अपनी बारी का इन्तजार ही करती रहती है।हाँ ये अवश्य है की कुछ लोगों का टाइम तो हमेशा आया हुआ रहता है,जैसे लगता है की अच्छे समय का वो ही ठेका ले रखे हैं,ऐसा लगने लगता है की समय भी उन्ही के यहाँ बंधक बन गया है,आप स्वयं अपने आस-पास इस चीज को महसूस कर रहे होंगे,हम आप केवल चर्चा करते रह जाते हैं की अरे ये आदमी कहाँ से कहाँ पहुँच गया,इसमे उनको शामिल kattai   नहीं किया जा सकता है जो वास्तव में कठिन  और विषम परिस्थितियों में अपने को साबित करके अपना अच्छा समय मेहनत से लाये हैं।लेकिन जो जुगाड़ से,लफ्फाजी करके,लुभावने वादे करके,जनता को छल के,माफियागिरी  करके जिसने अपना समय बुलाया उसे क्या कहेंगे ?आज के समाज में इन्ही का बोलबाला है,इसमें एक वर्ग को और शामिल किया जा सकता है,जैसे की जिम्मेदार पद पर बैठे मुलाजिम,और शासन-सत्ता को अपनी ओर मोड़कर अपने उद्योगों -धंधों को बुलेट ट्रैन के माफिक चलायमान कर देने वाले।यही वोलोग हैं जो बहुतों के अच्छे समय आने में रूकावट बने हुए हैं।एक सबसे बड़ी खास बात ये है की इन सभी में आपस में बड़ा अच्छा ताल-मेल रहता है और सब एक दूसरे के अच्छे समय लाने में में उच्च क्वालिटी के उत्प्रेरक का काम करते हैं,इन सभी में आपस की बॉन्डिंग बहुत ही अच्छी होती है,एक दूसरे को संभाले रहते हैं।

                                       आप को लगता होगा की मैं निराशजनक और नकारत्मक बाते कह रहा हूँ,लेकिन आप खुद सोचिये और देखिये,जहाँ-जहाँ चुनाव हो रहे हैं या जहाँ  होंगे,या फिर हो चुके हैं वहां किसकी किस्मत खुली है या खुलने वाली है स्वयं देख लीजिये।किसी भी जिले में जाकर देखिये या अपने जिले में जहाँ के आप निवासी हैं बताइये तहसील,थाना,ब्लाक,पेंशन आदि से सम्बंधित विभाग वहां किसका टाइम आया है और कौन उस टाइम को  निडर होकर लुत्फ़ उठा रहा है,जनता का टाइम वहां आया है क्या?या यही बताये कोई की कब उनका टाइम आएगा?इसी प्रकार अपराधी,माफियाओं को देख लीजिये,जहाँ चुनाव हो रहा है क्या वहां उन्हें टिकट नहीं दिया गया है,क्या वो चुनाव नहीं लड़ रहें हैं,सभी दलें केवल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप ही लगा रहें हैं की की अपराधियों को टिकट दिया गया है,जब की सब इस पाप के भागी हैं,मीडिया भी होहल्ला मचाकर शांत हो जायेगा,और उनका भी टाइम आ जायेगा,कितना दुर्भाग्य है की उनका उल्टा टाइम आना चाहिए पर सीधा ही आता जा रहा है,हाँ कुछ के टाइम कभी-कभी ख़राब आते हैं,पर फिर गिरगिट की तरह समय आते ही रंग बदल कर अपना टाइम बुला ही लेते हैं।

                               मैं भी मैथमैटिक्स का छात्र रहा हूँ,लेकिन मुझे आज तक ये समझ में नहीं आया कि किस  सिद्धांत के अनुसार ४०००० -५०००० -१५००००,से अपनी यात्रा शुरू करने वाले सरकारी कर्मचारी,अधिकारी या जनप्रतिनिधि करोड़ों,अरबों के मालिक बन बैठते हैं कहाँ से ये घोषित-अघोषित सम्पति इकट्ठी हो जाती है,इनका टाइम अच्छा कैसे आता है और एकबार आ जाता है तो इतना मालामाल कर जाता है फिर उनका टाइम बना रहता है।ये चीज उन्हें देश को बताना चाहिए जो सबके काम आये।वेल अपटूडेट रहकर मासूम सा चेहरा लेकर माथे पर तथाकथित ईमानदारी का लेवल लगाकर अपना टाइम अच्छा बनाये रहते हैं और जनता सब जानते हुए भी बस मूक दर्शक बनी  रहती है,और अपना टाइम ख़राब किये रहती है।

                   अब निर्णय हमें-आप को लेना है कि कबतक इसी तरह आपस में उलझे रहकर अपना टाइम आने के इन्तजार में अपना टाइम ख़राब किये रहेंगे,और इनकी चमक देखते रहेंगे अगर इसी तरह भरोसा कर टाइम का इन्तजार करेंगे तो युग बीत जायेगा।अब समय है कि इनसे हक़ से अपना टाइम मांगना पड़ेगा,और जो सरकारी कर्मचारी या अधिकारी हैं इन्हे बिलकुल ही नंबर दो के इनकम का टाइम नहीं आने देना है,इन्हे इस तरह मजबूर करना है कि सरकारी वेतन पर जीवकोपार्जन करें हमारी  गाड़ी कमाई का रिश्वतरूपी माल न काटें,अन्यथा ऐसे ही हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे और वो ऊंचाइयों पर चढ़ते रहेंगे और गाते रहेंगे कि अपना टाइम आया था,आया है,और आता रहेगा तुम केवल देखते रहना। 

                              जय हिन्द जय समाज ।। 

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