भ्रष्टाचार उन्मुक्त क्या ?????

हमारे देश में यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे बड़े जोर-शोर से उठाया जाता है ,और इसे समाप्त करने के बड़े-बड़े सपने दिखाए जाते हैं ,इसीदम पर सरकारें बन जाती हैं ,लेकिन उसके बाद हम केवल देखते ही रह जाते हैं कहाँ से भ्रष्टाचार मुक्त हुआ भारत ,कहीं से तो मुक्त होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा हैं।लोगों में आश बढ़ने लगती हैं की अब तो भ्रष्टाचारी जेल जाएंगे ,प्रशासन स्वच्छ हो जायेगा ,आमजन को कार्यालयों के चक्कर पे चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा।सभी कार्य निर्बाध गति से चलेगा ,पर होता उलट हैं ,वो अपनी मस्ती में जीते जाते हैं उनके सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता हैं ,इक्का-दुक्का को छोड़ कर सब अपनी ही भेड़चाल चलते रहते हैं ,पब्लिक पहले की तरह पिसती रहती हैं। 



                               आज इसे कुछ आंकड़ों से समझना आवश्यक हैं ,हम सबसे पहले अपने प्रदेश से बात करते हैं। सबसे लेटेस्ट ७वा   पे कमीशन लागु हुआ हैं जिसके अनुसार आज कर्मचारियों और अधिकारीयों को वेतन मिल रहा हैं उसका विवरण नीचे दिया जा रहा हैं -        


                    पहला पे स्केल हैं ५२००-२०२०० और दूसरा जो महत्वपूर्ण हैं वह हैं ९३००-३४८०० , दोनों में विभिन्न ग्रेड हैं। पहले में स्टार्टिंग में १८५००,१९९००, २१७००,२५५००,२९२०० +डी ऐ+अन्य भत्ते मिलाकर वेतन मिलते हैं ,इसमें चतुर्थ श्रेड़ी से लेकर कुछ ऐसे पद जिसको ज्यादा लोग जानते हैं जैसे की ,लेखपाल,ग्राम पंचायत अधिकारी,कॉन्स्टेबल,कानूनगो  आदि आते हैं। इसी प्रकार से दूसरे में ३५४००,४४९००,४७६००,५३१०० +डी ऐ +अन्य भत्ते मिलाकर वेतन मिलते हैं ,इसमें नायब तहसीलदार ,वन क्षेत्राधिकारी ,खंड शिक्षा अधिकारी आदि पद आते हैं। एक तीसरा स्केल आता हैं जो १५६००-३९१००  होता हैं जिसमे ५६१००,६७७००, ७८८००,+डी ऐ + अन्य भत्ता मिलाकर वेतन मिलता हैं ,जिसमे तहसीलदार, उपजिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी,पुलिस विभाग के क्षेत्राधिकारी आदि आते हैं।इसी प्रकार ३७४००-६७००० व ६७०००-७९०००, ७५५००-८००००, भी हैं जो लगभग प्रथम श्रेणी के अधिकारीयों का वेतन हैं।लगभग प्रदेश के सभी अधिकारीयों और कर्मचारियों के वेतन के विषय में ये हो गया। 

                          अब विचार करने का यह प्रश्न है कि जिस पद से भ्रष्टाचार कि शिकायतें शुरू होती है जो प्रशासन और विकास विभाग से मुख्यता जुड़े होते हैं उनके वेतन कि शुरुवात मात्रा २४से २६००० रुपये से शुरू होता है और अधिकारीयों का ५०से ६०००० रूपये से शुरू होता है। यहाँ पर इनके यदि आदर्श रूप से दो बच्चे मान लिए जाएँ तो जो जरुरी और हर माह के खर्चे हैं जैसे दूध, अखबार, राशन,शिक्षा, स्वास्थ्य, ईंधन,मोबाइल फोन ,आकस्मिक खर्चे यदि सब जोड़ा जाये तो बहुत ही कड़ाई से खर्चे किये जाएँ तो भी २०००से ३०००० रूपये से अधिक  कि बचत संभव ही नहीं है,जिनके साथ माता-पिता भी रहते हैं तो और अधिक खर्चे हैं।जितना बड़ा पद उतने अधिक खर्चे भी होते हैं। 

                                   यहाँ सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जब बचत नाम मात्र का है तो फिर कहाँ से थोड़े वर्षों में ही आलिशान बंगले,लगजेरियस गाड़ियां ऐशो -आराम कि सारी सुविधाएँ आ जाती हैं।कई तो ऐसे हैं जिनके दूसरे-दूसरे नामों से विद्यालय अदि चल रहें हैं ,ये तो सही ही है कि ज्यादातर उनकी सम्पतियाँ दूसरों के नाम होती है ,दिखाने के लिए पाकसाफ बने रहते हैं ,काम सब वही होता है जो नहीं होना चाहिए।सभी निर्द्वन्द होकर नौकरी कर रहे हैं ,किसी कि शिकायत होती है तो बहुतों को तो क्लीन चिट मिल जाती है ,कुछ जांचे ठन्डे बस्ते में चली जाती है,चंदलोगों के खिलाफ ही कारवाही हो पाती है,यहाँ विचारणीय प्रश्न यह है कि यदि वो क्लीन चिट पा गए तो जिसने गलत रिपोर्टिंग कि उसके खिलाफ क्या हुआ ?राजस्व विभाग में तो कई ऐसे अधिकारी हैं जो राजस्व अधिनियम,नियम से परे जाकर काम कर देते हैं और कुछ नहीं होता ,कारण है कि लोग शिकायत से डरते हैं कि कुछ हो न हो उनका नुकसान न हो जाये ,क्यूंकि जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं वो दंद-फंद में भी माहिर होते हैं और धन कि कमी नहीं होती है ,तो येन-केन प्रकारेण ये सब सेट कर लेते हैं।कई ऐसे अधिकारी और कर्मचारी आप को मिलते होंगे जिनके वेतन तो कम हैं पर उनका आवास और रहन-सहन  देखकर आप कि आँखे चौधियां जाती होगी,हर समय सभी भ्रष्टाचार पर बात करते हैं लेकिन सुधार परिलक्षित नहीं होता है  ,आखिर क्यों ?अब तो ऐसा होने लगा है कि यदि कोई एक ईमानदार है तो इन भ्रष्टाचारियों के बीच काम करने में उसको घुटन होती है ,ऐसा माहौल बनता जा रहा है कि ऐसा लगता है कि जैसे वही कोई गलत काम कर रहा है। 

                                    हम सभी को अब इसके बारे में गहनता से विचार करना होगा ,महात्मा गांधीजी ने बहुत अच्छा सिद्धांत दिया था कि ''बुरा न देखो,बुरा न सुनो ,बुरा न बोलो ''अब लगता है कि समय कि मांग है कि यह भी जोड़ा जाये कि बुरा न सहेंगे ,क्यूंकि हमारी सहनशीलता ही है जिसके वजह से ये अपने जिम्मेदारी वाले पदों पर बैठ कर अपनी जिम्मेदारियों से विरत होकर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ,इनका सिद्धांत बन गया है कि ''सेटिंग,मैनेजिंग और गिविंग और टेकिंग का ''इन्हे नियंत्रित करने के लिए हमें भी ''चेकिंग ,स्टॉपिंग और एक्शनिंग पर ध्यान देना होगा ,इसका तात्पर्य है कि आपके आस-पास जो भी अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त दिखे उसका साक्ष्य सहित शिकायत जरूर करें और तबतक शांत मत बैठें जबतक कि उसके खिलाफ कार्यवाही न हो जाये। यदि यह पुख्ता जानकारी मिलती है कि बिना रिश्वत के कार्य नहीं करता है तो गांधीवादी तरीके से उसका पुरजोर विरोध करें और मजबूर कर दें कि यदि वहां काम करना है तो ईमानदारी से करना होगा अन्यथा सीट छोड़ना होगा। 

                                 आपसब -हमसब को नींद से जागना होगा ,आप देख रहें है न कोरोना जैसी महामारी के किट के खरीद में भी घोटाला उजागर हो रहा है ,ऐसे ही नित्य नए -नए कारनामे आते रहेंगे ,हमारे आपके पैसे कि लूट मचती रहेगी और हम सब बस मुफ्त के अनाज के भरोसे बैठे रहेंगे। समय कि मांग है कि सत्यमेव-जयते केवल लिखा और पड़ा न जाये बल्कि हकीकत में भी उतारा जाये,जो इसके इतर चलने कि कोशिस करे उसपर ब्रेक लगाया जाये।अब समय है की   रिश्वतखोरों के खिलाफ हल्ला बोल हल्ला बोल |  

                            जय हिन्द -जय भारत -जय जनता ..    

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