श्री कृष्ण जन्माष्टमी - समझाविश बाबू


जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। श्री कृष्ण को भगवान् विष्णु का अवतार भी माना जाता है। इन्होने मथुरा में जहाँ ये जनम लिए थे वहां के लोगों को पापी व निर्दयी व्यक्ति कंस से मुक्ति दिलाई थी ,आगे चलकर महाभारत युद्ध में  सत्य और धर्म का साथ देकर पांडवों को विजय दिलवाई थी। सच में देखा जाये तो चाहे भगवान् राम का अवतार हो या कृष्ण का या फिर हिरण्यकश्यप का हो सभी में सन्देश है बुराई का अंत और सत्य की विजय। जब अत्याचारी व्यक्तियों ने मानवी और धर्म के मूल तत्वों को नष्ट करना सुरु किया था और उसके पराकाष्ठा को पार कर दिया था तब इन अवतारों ने उसका अंत करके पुनः मानवी मूल्यों और आदर्शों को स्थापित कर समाज को यह सन्देश दिया था क़ि सत्य ही अटल और स्थायी है ,मानवी मूल्य ही महत्वपूर्ण है इसे पराजित नहीं किया जा सकता है। इससे हम सभी को यही सीख मिलती है क़ि सत्य ही जीवन है ,यही अटल है और स्थायी है। 

                 अब जरा वर्तमान में इस परिपेक्ष में देख लिया जाये ,हम जन्माष्टमी ,विजयदशमी त्यौहार को बड़े धूम-धाम से मनाते हैं ,लेकिन क्या उसके उद्देश्यों ,मूल भावना को अपने जीवन में अपनाते हैं ? मुझे तो ऐसा लगता है क़ि हम उससे काफी दूर होते जा रहे हैं ,हम दिखावा ज्यादा कर लेतें हैं ,किन्तु सच्चाई से दूर होते जा रहे हैं। 

यह भी एक सत्य है क़ि जन्माष्टमी सबसे अधिक धूम-धाम से थानों में मनाई जाती है जहाँ इसके मूल्यों को स्थापित होना शत प्रतिशत आवश्यक है ,यदि वहां इन मूल्यों क़ि स्थापना हो जाये तो कुछ हद तक समाज में बहुत ही अच्छा सन्देश जायेगा। पर आप सभी अपने चारो ओर जो देख रहें हैं उससे स्वयं समझ रहे होंगे क़ि सत्यता क्या है ? ऐसी परिस्थिति को कई बार सामना करना पड़ता होगा जब घुटन महसूस होता होगा , उन कालों में जब भगवान् राम और कृष्ण के अवतार को उल्लेख किया गया है तब एक ही प्रतीक रावण और दुर्योधन थे जिनका संहार हुआ ,रावण के दस सर को उल्लेख है अब आप ये बता पाने क़ि स्थिति में हैं आप सर गिन लेंगे ,किन-किन के अंदर ये प्रवृत्ति छुपी है कहाँ - कहाँ ये प्रगट होजाएंगे किसे पता? आज तो सत्य को ही दम घुट जाता है 

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                                झूठ के बाजार में सच का दम घुट रहा 

                               ईमानदार -ईमानदार के स्वर में भ्रष्टाचार बढ़ रहा 

                               कब तक करना होगा हमें इन्तजार 

                               कब तक यूँ ही लुटते रहेंगे हम 

                               गजब का आलम है यहाँ ऐ दोस्त 

                              सौ झूठ के बीच एक सच रो रहा

                              एक युग में राम ने राह दिखाई थी 

                               एक में कृष्ण ने अलख जलाई थी 

                               अब किसका आने  का है इन्तजार 

                               यहाँ तो दुर्योधन और रावण का है भरमार 

                               कैसे इनका विनाश हो पायेगा 

                               हमे-आप को ही आगे आना होगा 

                               इन दुष्टों को और मनमानी से रोकना होगा 

                               तभी सत्य को विवश न होना पड़ेगा 

                               सत्य ही अटल है इसे स्थापित करना होगा 

                               इसके लिए सौ विरोध भी सहना होगा।।  

                     


टिप्पणियाँ

  1. आ ही गए है प्रभु हमारे दिल मे बसने हमें ही पहचानना है बस वो इंसान

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  2. Aapko bhi bahut bahut shubhkaamna.
    Mera aapse nivedan hai ki jo yeh Corona kaal mein parikshaon Ka silsila chal rha hai uske khilaaf aawaz uthaaiye . Mera beta abi b.ed Ka exam diya tha..wahan bahut bheed thi..koi social distancing ni thi..uski Tabiyat halki kharab hai..meri bitiya ka b exam hone wala hai...mai puchta hu is corona kaal mein jab dawa nahi hai iski toh parisksha kyun.?? Aakhir humare bacchon aur humari Jaan ki zimmedari kaun lega? Yeh media kabhi inn muddon par baat nahi Karti... Yahan corona vaccine October November se phle nahi aayegi toh usse pehle exam kyun....yeh toh maut ko daawat dena hua??

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