ये क्या हो रहा है ? - समझाविश बाबू - हिंदी ब्लॉग

आज देश में किसान आंदोलनरत हैं किसान हमारे अन्नदाता हैं इनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता,देश के सीमा पर यदि सैनिक हमारी सुरक्षा के लिए मुस्तैदी से खड़ा रहते हैं तो किसान हमें रोटी देता है जिसके सहारे हमारा जीवन चलता है,या यूँ कहा जाये की देश में ये सबसे महत्वपूर्ण हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।इनकी सुविधा के लिए जो भी कदम उठाया जाये वो काम है,ये सुखी रहेंगे और खुश रहेंगे तो मेरा मुल्क भी खुशहाल रहेगा।लेकिन इस देश का दुर्भाग्य है कि किसानो को हमेशा छला गया है।किसान तीनो बिलो को वापसी की मांग कर रहे हैं, अब देखने वाली बात ये है कि किसान तीनो बिलों को सिरे से ख़ारिज करने कि बात कर रहे हैं,उनके तरफ से दो  टूक कहा जा रहा है कि रद्द करने के अलावा हम उससे कम पर तैयार नहीं हैं।उनका कहना है कि कृषक उपज व्यापार और वाण्जिय(संवर्धन और सरलीकरण)कानून २०२०,कृषक(सशक्तिकरण व् सरक्षण)कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून २०२०,आवश्यक वस्तु(संशोधन)कानून २०२० तीनो निरस्त कर फिर वार्ता कि जाये,जहाँ सरकार इसके बहुत ही अच्छे फायदे बता रही है जैसे कि एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्राविधान है जहाँ किसानो और व्यापारियों को राज्य कि एपीएमसी(एग्रीकल्चर प्रोडूस मार्किट कमिटी)कि रजिस्टरड मंडियों से बाहर फसल बेचने कि आजादी होगी,किसानो को अपनी उपज एक राज्य से दूसरे राज्य में बेचने कि आजादी रहेगी,इस कानून के तहत किसान कृषि व्यापार करने के लिए बड़े व्यापारियों,खुदरा विक्रेताओं व् निर्यातकों से कॉन्ट्रैक्ट कर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर सकते हैंऔर अपने उपज को अच्छे दामों में बेंच सकते हैं,पांच हेक्टेयर से कम जोत के किसान भी इससे लाभ पा सकते हैं।इसके अतिरिक्त अनाज,दलहन,तिलहन,खाद्य तेल,प्याज,और आलू को आवश्यक वस्तुवों कि सूची से हटाने  का प्राविधान है,असाधारण परिस्थितियों को छोड़ कर जितना चाहे भंडारण किया जा सकता है।किसानो के अपने तर्क है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से खरीद बंद हो जाएगी,मंडियां बंद हो जाएँगी,बड़े व्यापारी एक मोनोपोली स्थापित कर लेंगे और छोटे किसान न तो कीमत पा पाएंगे और न ही जमीं सुरक्षित रख पाएंगे।



                                    आज माननीय सर्वोच्च न्यायलय को हस्तक्षेप करना पड़ा और कृषि कानून को स्थगित कर एक समिति बनानी पड़ी।जिसपर भी किसान नेता से लेकर विपक्ष खास तौर से एक विशेष दल  के विशेष नेता टिप्पड़ी  पर टिप्पड़ी किये जा रहे हैं,ऐसा लगता है कि उनसे बड़ा हितैषी किसानो का कोई नहीं है,हो भी क्यों नहीं क्यूंकि एक लम्बे अंतराल तक उनका दल देश की  सत्ता पर काबिज रहा है और उन्होंने किसानो को एक स्वर्णिम भविष्य दी थी जो केवल उन्ही को दिखाई देती है,यदि चाहे होते तो इतने लम्बे अंतराल में तो एक मजबूत देश बन चुका होता,इन टिप्पड़ियों से कभी ये सोच पा रहे हैं कि आप माँ सर्वोच्च न्यायलय के आदेशों कि समीक्षा अपने ढंग से कर रहे हैं,चलिए मैं मान लेता हूँ कि समिति के सदस्यों से नाइत्तफाकी है तो आप न्यायलय में जाकर वास्तविकता बताकर संशोधन कि मांग करेंगे कि न्यायलय के बाहर आदेश का पोस्टमार्टम करेंगे।यहाँ एक और विचारणीय बिंदु है कि जो भी वार्ता किसी भी बिंदु पर अगर दो पक्षों में होती है तो दोनों ओर से कुछ सहमति होगी तब वार्ता का मतलब है कि बिलावजह वार्ता का क्या मतलब,जब आप कह रहे हो कि हम कृषि बिल के वापसी से कम पर नहीं मानेंगे तो फिर वार्ता का क्या मतलब,वो कह रहे हैं कि हम संशोधन के लिए तैयार हैं निरस्त नहीं करेंगे,तो वार्ता का नाटक क्यों ?एक बार संशोधन देखने में क्या हर्ज है हाथ पकड़ कर तो कोई सिग्नेचर नहीं करा लेगा नहीं पसंद आये तो फिर आंदोलन का विकल्प तो खुला ही है।लगातार टी वी डिबेटोँ पर मैं किसान के नेता महेन्दर सिंह टिकैत जी को सुनता आ रहा हूँ,मेरे एक चीज नहीं समझ में आया अभी तक कि आप शासन पर तो हटधर्मिता और तानशाही का आरोप लगाते  हो लेकिन आप कि भाषा भी मेरे समझ में नहीं आयी आप भी तो बस एहि कहते हो कि वापस तो लेना पड़ेगा,देखते जाओ,अभी आप ने एक नयी बात कहनी शुरू कर दी कि गोली चलेगी कम से कम १००० किसान मारे जायेंगे,पूछने पर कहते हैं कि मेरे पास सूचना  है तो भाई बताओ न किसने सूचना दी है उसे एक्सपोज़ तो करो,आप ये बता सकते हो कि जहाँ राष्ट्रीय परेड होता है क्या आप का वहां ट्रैक्टर रैली करना नियम संगत है,ऐसे तो जिले में तमाम मुद्दे पर लोग आंदोलनरत रहते हैं तो वो भी कहें कि २६ जनवरी या फिर १५ अगस्त को हमभी जिलाधिकारी कार्यालय या फिर पुलिस लाइन में झंडा फहराएंगे।ये व्यवस्था बनाने या बिगाड़ने  कि बात हुई आप बेहतर जानते होंगे क्यूंकि आप जैसा समझदार मैं नहीं हूँ और न  ही मैं नेता हूँ,लेकिन ये मरने-मारने  और इस तरह के भड़काऊ बातें तो सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक नेता करते हैं अब आप के द्वारा कि जा रही है तो आप ही बता सकते हैं कि आप किस हैसियत से बोल रहे हैं किसान नेता या  फिर राजनीतिक नेता।आप कि ओर देश का पूरा किसान और जनता कि निगाहें हैं आप उन्हें कौन सा सन्देश देना चाहते हो,ये ही कि १००० लोग मारे जाएंगे,क्या इसी से एक सुन्दर देश बनेगा,सच पूछिए तो आप के लिए मेरे मन में बहुत आदरभाव था किन्तु जैसे-जैसे आप कि भाषा मैं सुनता जा रहा हूँ तो मुझे एक अजीब स अनुभव होता जा रहा है ऐसा लगता है कि आप टकराने के लिए बड़े आतुर दिख रहे हो,किसान हमारे देश कि सम्मान,और शान हैं वो ही मेरे देश कि पहचान हैं उन्हे ऐसे न बरगलाइये।सरकार को भी चाहिए  कि जो ये १००० कह रहे हैं इसपर स्पष्टीकरण दे कि ये शिगूफा ये कहाँ से लाये,सरकार को ये भी चाहिए कि एक संशोधन का प्रारूप बनाकर न केवल किसानो के मध्य बल्कि पब्लिक डोमेन में भी रखें और बताएं इससे क्या होगा,ये बात तो सरकार को माननी ही पड़ेगी कि यदि आप कि नीतियां बहुत अच्छी है तो उसे बताने में कहाँ से चूक हो गयी,इसे पक्ष-विपक्ष कि राजनीती से ऊपर उठकर सोचना होगा और ये सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी किसान कि जान न जाये वो हमारे अन्नदाता हैं।समय रहते इसे सुधारना होगा ऐसा न हो  की  कहीं देर न हो जाये और रोटी शेकने के लिए तैयार बैठे लोग रोटी सेक  लें,लाशों को सत्ता का माध्यम कत्तई नहीं बनने देना है,सरकार इस आंदोलन को दो कदम आगे बढ़कर समाप्त करने का सच्चे मन से प्रयास करे,एहि हमारे देश के लिए हितकर होगा,अन्यथा कोई भी अप्रिय घटना कि जिम्मेदारी अन्तोगत्वा सरकार पर ही आती है।यहाँ सभी दलों चाहे वो सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष और कोई भी नेता हो या फिर कोई और न्यायालयों के आदेशों पर सार्वजनिक टिप्पड़ियां करना बंद करें ये स्वस्थ समाज के लिए हितकर नहीं है।अभी एक प्रमुख चैनल के डिबेट पर चल रहा था की किसानो के आंदोलन की फसल कांग्रेस काटने को तैयार,आखिर ये सब क्या है,सरकार इस विषय को गंभीरता से ले और कोई अत्यंत अप्रिय स्थित उत्पन्न होने से पहले और राजनीतिक रूपी पेट्रोल पड़ने से पहले इस समस्या का हल निकाल लिया जाये,देश शांति चाहता है और शांतिपूर्ण समाधान भी चाहता है जो एकमात्र विकल्प है,क्यूंकि वो भी बहुत बड़े किसान के हिमायती हो रहे हैं जिन्हे शायद ये भी नहीं मालूम होगा की रबी,खरीफ,जायद में कौन-कौन सी फसल बोई जाती है।सरकार आगे बढ़कर इस आंदोलन को किसानो के हित को सर्वोपरि मानते हुए समाप्त कराये अन्यथा घात लगाए तो चंद लोग बैठे हैं।

टिप्पणियाँ

  1. ye kisan andolan nahi hai sirf punjab bas me kisan nahi h sabse zyada kisan Uttar pradesh me h aur yha pe kisi ko koi dikkat nahi. Yogi ji se up wale bhot khush h modi aur yogi hi rhenge desh aane wale kayi saalo tak

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट