का हो सब ठीक बा - समझाविश बाबू !
आज बहुत दिन बाद रमेशर और सुरेशर फिर मिल गइन,आपस में बड़ी गर्मजोशी से दोनों में दुआ सलाम भइल और दोनों एक दूसरे से बातन में मशगूल हो गए,आप भी उनकी वार्तालाप का मजा लीजिये --------
रमेशर - और सुरेशर का हाल बा
सुरेशर - सब ठीके बा अपन बतावा
रमेशर - हमरो ठीके बा बाबू
रमेशर - दाल रोटी चलत बा मजे से?
सुरेशर - दाल बहुत महंग बा रोटी चलत बा
रमेशर - सब्जी के का हाल बा
सुरेशर - आलू-प्याज महंग बा,नुने से काम चलावत हैइन
रमेशर - छोड़ा मर्दे महगाईं के रोना ई तो राजकाज है,ई हमेशा रही हम लोगन के एही में जिंदगी काटे के बा,कोऊ आवे खाली झुनझुना थमाई और हमलोग खाली वही के बजावत रहब,इन लोगन से बड़ी-बड़ी बात करा ला,हमरे आज तक ई नाइ समझ में आइल की महगाईं आवे के बाद ही सरकार चेतेला,ओके पहिले का सांप सूँघले रहेला।
सुरेशर - अरे भइया रमेशर ई बतावा कब कउनो काम पहिले सोचल जाला,चाहे महगाई हो,अपराध के बदे हो,बीमारी बदे हो या फिर कउनो बदे हो,जादा चिल पों करबा तो एक दूसरे पर दोष मढ़ के किनारे हो जहियें,तू चिल्लात रहा, जौन-जौंन अधिकारी छांट-छांट के ई बदे बइठावल गइल बाटें ज्यादातर तो अपनहि जुगाड़ में लागल रहत हैन,जब हो-हल्ला मचत है,अखबारन में समाचारन में चले लगत है और शासन के डंडा चलत है तब ई अधिकारी थोड़ होश में आवत हैन,बस काम भरे के की नौकरी बचल रहे,ओसे जादा मलाई वाले कुर्सियां के चिंता रहेला।
रमेशर - आज कल पुलिस वाले महकमे के आये दिन चर्चा होतबा,कउनो न कउनो खबर आ जात बा समझे में नाही आवत ई का होतबा,बतावा एस पी जइसन अधिकारी फरार हो जात हैन,सार अपराधियन के तो सुनले रहलीं ई ससुर कबो नाही सुनले रहलीं,गजबे हाल चलत ता,सार पुलिस जुआ पकडे नाही लूटे जाता,हद तो तब होगईल की गोलियो चल जाता और आदमियों मर जात बा,हाथरस,कानपूर,महोबा,ई जगहन पे और कई जगह पता नाही ई पुलिस के का हो जातबा,पूरा समाज के किरकिरी करा देत हैन,
सुरेशर - अरे इहाँ तक कहाँ हो अब तो पुलिस वाले पुलिस से ही जान के खतरा बतावत हैन,यूटूब पर खूब चलत बा,कोई गालीबाज के पदवी पावत बा,कोई दबंगई के,ऐसा लगत बा की कहीं न कहीं कुछ सडत बा जेके समय रहत इलाज बहुत जरुरी बा,कहीं अइसन न हो की बहुत देर हो जाये और कुछ जादा अनर्थ हो जाये,काहें की समाज के पूरे सुरक्षा के भार इनहीन पर बा।
रमेशर - काकरबा हो हमरे इहें समस्या आवे पर मरहम-पट्टी करके ढँक दिहल जाला,एक्सरे नाही करल जाला की आखिर असली मर्ज का बा,बस पेनकिलर दे के दर्द के फौरी इलाज कर दिहल जाला,जेसे फिर घौआ हरा हो जाला,कहीं अइसन न हो की एकदिन पूरा शरीरिया मरहम-पट्टी से ही भर जाये फिर काम कइसे करि।ई सही बात बा कुछ अइसन करे के पड़ी जौंन सारे मोहकमा के ठीक कर दे,आखिर घटना काहें बढ़त बा,ई सबसे जरुरी महकमा बा,एम्मे अच्छे लोगन के कमी नाही बा,मगर कुछलोग पूरा माहोल ही बिगाड़ देत हैन इनकर इलाज बहुते जरुरी बा,देर हो जाई तो पछतावे के पड़ी।
सुरेशर - छोड़ा ई सब बात,बिहार के रजुआ से बात भइल है की नाही हो,उहाँ के चुनाव के का हाल बा हो,कुछ बतावत रहे,का हवा चलत बा।
रमेशर - अरे कहत रहल की घमासान मचल बा,दुनो ओर से धुँवाधार रैली चलत बा,एक दूसरे के एकदम नंगा कर दिहल जात बा,एक से एक बात बतावल जात बा,रोजगारे के तो बाढ़ आ गइल बा,लगत बा की बिहार के अलावा औरो प्रदेश से रोजगार बदे आदमी बुलावे के पड़ी,विकास के तो गंगा बह जाई,बिहार-बिहार न रही अबकी लागत बा की पेरिस बन जाई।
सुरेशर-कुछऊ कहा रमेशर भइया राजनीतिया बड़ा मजेदार होला हो,इहाँ बिना पड़ल लिखल लोग भी रोजगारन के ढेर लगा देलें,बड़ा से बड़ा मर्ज के इलाज बता देलें,बड़े से बड़े पुल बनावे के टेक्निक बता दिहें,अपराधी अपराध ख़तम करे के गुर बताई,हत्या-बलात्कार के मुल्जिम रामराज्य के बात करि काहें की ओकर दोष सिद्ध नाही भइल बा,तो फिर ऊ पाकसाफ ही बा।गजबे बा राजनीति में भी राजनीति बा,तू खुदे समझ कौन पाकसाफ बा कौन नाही।
रमेशर - सुरेशर भइया राजनीति के बात छोड़ा हो दिमाग के दही बन जाला,सार दिमाग चकरघिन्नी बन जाला,का सही का गलत बा कुछु समझ में नाही आवेला।लेकिन भइया एक बात जरूर चिंता के बा की हमरे बिटियन के साथ हर जगहिये अपराध हो जात,ई बहुत गलत बा,ई हम सबके लिए बहुते शर्म के बात बा की हमलोग अपनी बिटियन के सुरक्षा नाही दे पावत हैन,हम ई भूल जाइला की ऊ हमार माता,भी हैन,बहन भी हैन, बिटिया भी हैन,कोई के पत्नी भी हैन फिर ई हरामजादे कइसे उनकर इज्जत लूटे के दुःसाहस करे लें सार राक्षस से बड़े कमीने होवेलें,ई सार दया के तो बिलकुल ही पात्र नाही हैन।अइसन व्यवस्था हो की अइसन अपराधियन के छै महीना में सजा मिल जाये,इनके साथ कउनो मरौवत न हो।
"आज समय आ गइल बा की हर औलाद के नाम के आगे माता के नाम भी लगावल जा,बिटिया पैदा होव पर धन,विद्या,शक्ति की देवी के जे तरह पूजा करल जाला ओ तरहे उनकर स्वागत करल जा,अब समय आगईल बा की उनके खाली खाना बनावे और चूल्हा-बर्तन बदे न समझल जा,पुरुष भी ई काम में हाथ बटावें ,उनके घर के हर फैसले में शामिल करल जा,देखा ऐसे शायद कुछ सुधार हो जाये।साथ में अगर कउनो घर में बिटियन के साथ जरा भी अत्याचार के खबर पता लगे तो अत्याचार करे वाले के कस के खबर लिहल जा,"
सुरेशर - रामेशर भइया एगो औरो बात बड़ा परेशां करेला की जौं धरम-धरम खेलल जात बा,हमरे आज तक ई बात नाही समझ में आवत बा की कउन धरम मरे-मारे के बात करेला,ई कउन धरम सिखावेला की सर कलम कर देब,खून-खराबा कर देब,अरे भइया तू धरम के रक्षक हवा की हत्यारा,धरम तो भलाई के लिए होला,इंसानियत के लिए और समाज के एक रखे के लिए होला,फिर ई मरे-मारे के बात कहाँ से आ जावेला हो,जहाँ देखा एके लेके रार मचल रहेला,एक से एक ज्ञानी पैदा होजालें लागेला की सब परिभाषवा यही लिखले रहलें,इनसे बड़ा बुद्धिमान कउनो नाही बा।
रामेशर - हाँ हो सुरेशर इहो पर शक्ति करे के पड़ी कउन हो कोई के माहौल बिगाड़े के छूट नाही देवे के चाही,सबसे बड़ा तो दुःख तब होला जब अपने के बुद्धिमानन के गुरु समझे वाले भी बेतुकी बात कहेले,कौन बात के तू अपने के गुरु समझेला जबकि बात अनपढो से बत्तर कहेला,अब सभी के साथ कड़ाई करे के पड़ी कोई चाहे कितनो बड़ा हो,समाज बची तो सब बचल रहिये। बहुत बतकही हो गइल, चला भगेलुआ के इहाँ चाय पी आवल जा सार देश के हाल सोचत-सोचत दिमगवे पंक्चर हो जाला,दुनो फिर गांव के गीत गावत निकल गइलें ----
सुना हो हमार बाबू भइया सुना बार-बार
सुना हमार गांव और ज्वार हो भइया
अब न जाति-पाति पर लड़ा एक बार
जो आवे एके बदे,बात करे हजार
ओके दुत्कार के भगावा बार-बार
तबहु अगर न समझ पावे
तो करा अच्छे से सत्कार
गांवउअ देशवा बनावा खुशहाल
ओ भइया सुना बतिया हमार ।।



विनीत श्रीवास्तव
जवाब देंहटाएंKoi bhi aaye bihar me bahaar baa
bahaar ke sathe bimar n awey
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