जी हुजूर जी सरकार - Samjhavish Babu [Leading Hindi Blog]
आज के समय के सबसे खूबसूरत शब्द हैं,शक्तिशाली भी हैं जुगाड़ू भी हैं और काम निकलवाऊ भी है,अगर ये कला आज के ज़माने में सिख लिया तो मजे ही मजे,पांचों उँगलियाँ घी में और सर कड़ाही में,वैसे ये कहावत पुरानी हो गयी है,अगर इस कला में आप पारंगत हैं तो समझिये आप पूरे के पूरे शुद्ध देशी घी में हैं लगाइये चाहे खाइये मर्जी करे तो अपने रुतबे के लिए बांटिए भी कोई आप को रोकने वाला नहीं है।ये सब निर्भर करता है की आप जी हुजूर जी सरकार में कौन सी डिग्री लिए हैं,बी ऐ,ऍम ऐ,या फिर पी एच डी की, इसपर आपकी योग्यता निर्धारित है,इस पढ़ाई में कोई किताब नहीं घिसना पड़ता है और न ही ८-१० घंटे टाइम टेबल बनाकर एकाग्रता से पढ़ना पड़ता है,इसके लिए बस दो-तीन बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है,प्रारंभिक स्तर पर रसूखदार लोगों की झिड़की,गाली,बेईजत्ती को प्रसाद समझ के ग्रहण करना होता है,दिमाग को घिस-घिस कर जितना चालाक और शातिर बना पाएं उतना ही अच्छा माना जाता है,साथ ही सबसे प्रमुख बात ये होता हैकि चेहरा मासूम और खूबसूरत रखना पड़ता है लेकिन दिल को काला रखना पड़ता है,दिल कोई न पढ़ पाए न आप को कोई समझ पाए।
आप आजकल जिधर भी नजर घुमाएंगे जी हुजूर-जी सरकार वालों की भीड़ मिल जाएगी,सबसे अधिक ये सरकारी नौकरियों,और राजनीति में पाए जाते हैं,क्यूंकि यदि आप यहाँ सफल हो जाते हैं इस मूल मंत्र को अपनाकर तो आप हर सुख को भोगने के लिए पात्र हो जाएंगे,आप ऐशो-आराम की जिंदगी भोगिए कोई रोकने-टोकने वाला नहीं मिलेगा।ये छुटभैया जो अभी अपराध की दुनिया में अपने भाग्यशाली पांव रखना शुरू करते हैं उनके लिए भी परम उपयोगी है,हाँ ये अवश्य है कि इस रास्ते पर चलकर वो खुद फिर ऐसा मुकाम बना लेते हैं कि जी हुजूर जी सरकार टाइप के लोग उनकी ही जी हुजूरी करने लगते हैं।हाँ ये अवश्य हैकि तीसरे टाइप वाले जो इसी सीढ़ी का इस्तमाल कर माफिया डॉन बन जाते हैं वो कभी भी नीचे धड़ाम से गिर सकते हैं,लेकिन फिर उनके उठने के अवसर रहते हैं,हाँ उठने के लिए फिर वही प्रक्रिया अपनानी पड़ती है,इसीलिए इसका एक आधारभूत सिद्धांत भी हैकि गिरगिट से भी तेज रंग बदलने में माहिर होना चाहिए,समय बदलते ही आपको अपना भी रूप भी बदलना पड़ता है।राजनीति मेभी गिरगिट वाली फार्मूला बहुत कामयाब होती है,सत्ता का सुख भोगते-भोगते या फिर एक दल की फिजा थोड़ा मंद होते ही इनकी सोई आत्मा एकाएक जाग जाती है और तुरंत दल-बदल करते हैं और करते समय इतना सटीक कारण बताते हैं की लोकतंत्र भी शर्मा जाता है,जैसे की मेरा दम घुटने लगा था,जनता के साथ विश्वासघात हो रहा था,मुझे अहसास हुआ कि मेरा सही मुकाम यही है,मैं भटक गया था,जनता कि असली रहनुमाई यही कर सकते हैं।कई दलों को मौकापरस्ती का सिद्धांत अपनाते हुए एक को छोड़कर दूसरे को अपनाने वाले भी दुहाई तो लोकतंत्र कि रक्षा और जनता कि भलाई का ही देते हैं,ये अलग बात है कि जनता सब जानती है लेकिन भोले शंकर कि तरह विष पीते रहते हैं।सबसे ज्यादा मौज में सरकारी अधिकारी रहते हैं जो जी हुजूर-जी सरकार का फार्मूला अपनाते हैं,उनको बस सत्ता बदलते ही अपना रंग बदलना होता है,और अपनी ढपली लेकर आने वाले के कसीदे पड़ना होता है,और ऐसा प्रदर्शित करना होता है कि उनके आने से सबसे बड़ी ख़ुशी उन्ही को हुई है,और वो तो बस उनकी राह देख रहे थे,उनकी जीत में उनका भी बड़ा सहयोग था।हाँ इसमें एक क्रिया के बदले प्रतिक्रिया का भी डर रहता है जब कोई अधिकारी एक ही का इतनी गहराई से चोला ओड लेता है कि समय रहते अपना रंग चाह कर भी नहीं बदल पाता तो आने वाले समय में उसे बहुत तकलीफ होती है,वह एक तरह से गुमनामी में चला जाता है,जो अधिकारी जितना ज्यादा इस गुड़ में पारंगत रहता है वह उतना ही शानदार जिंदगी जीता है,इसका एक सबसे बड़ा सुखद पहलु यह रहता है कि जनता के नजर में जरूर वो गिर चूका होता है,उसके क्षेत्र में उसकी चर्चा आम हो जाती है,किन्तु जिम्मेदारों का वो चाहे वरिष्ठ उसके अधिकारी हों या फिर जनप्रतिनिधि उनका कृपा पात्र बना रहता है।यह एक ऐसा अजूबा पेड़ बन जाता है जो हर मौसम में हरा-भरा रहता है क्यूंकि इसे गोबर से बने खाद,या फिर यूरिया,ज़िंक फास्फेट नहीं चाहिए होता है न ही जाड़ा,गर्मी कि आवश्यकता होती है,हाँ बारिस कि होती है पर पानी का नहीं,धन-वर्षा कि जरुरत होती है,इसकी एक सबसे प्रमुख विशेषता होती है कि अधिक बारिश में अन्य फसलों कि तरह नष्ट नहीं होती बल्कि अत्यधिक उपजाऊ हो जाती है,हाँ बाढ़ कि स्थिति में थोड़ा इन्हे साला,साली,भाई,भतीजा,गुमनामी सम्पति,बेनामी सम्पति,गुमनाम कंपनियों का सहारा बाढ़ रोकने के लिए बांध के रूप में प्रयोग करना पड़ता है,जो इसमें महारत हासिल कर लेता है वो नामी-गिरामी हस्तियां बन जाता है,जो इसमें फिट नहीं बैठता है वो अपने आगे-पीछे का दृश्य देखकर कुढ़ता रहता है।एक और महत्वपूर्ण बात यह होती है क़ि जी हुजूर-जी सरकार टाइप के लोग कही कुछ बुरा न हो जाये इस कारण से ढोंगी बाबाओं के शरण में भी रहते हैं,जिसके कारण उनकी भी दुक़ान चल निकलती है और वो तरह-तरह के उपाय और ग्रहों में फंसा कर ठीक-ठाक रकम ऐंठते रहते हैं और धर्म के नाम पार ऐश करते रहते हैं,इनके इन दूषित हरकतों से आम आदमी बेचारा परेशान हो जाता है क़ि बिना इनके ग्रहदशा ठीक नहीं हो सकती है,और वो भी विचलित हो जाता है।इसका कारण है क़ि ये ढोंगी लोग इतना बाह्य आडम्बर का ताना-बाना और ग्रहों के चाल में उलझा देते हैं क़ि अगला आदमी अच्छी खासी रकम लुटा देता है,इसी के कारण ऐसे लोग बिना मेहनत के मालामाल होते रहते हैं।
आज सत्य को न तो इस टाइप के लोग पहचानना चाहते हैं और न ही अपनी जी हुजूरी-जी सरकार छोड़ना चाहते हैं,क्यूंकि इसमें उन्हें भौतिक सुख का परमानंद मिलता है,जिसे न तो वो छोड़ना चाहते हैं और न ही छोड़ने कि स्थिति में रहते हैं,लेकिन ये भूल बैठते हैं कि समय सबसे बड़ा बलवान होता है,उसका जब चक्र चलता है तो बड़ा से बड़ा साम्राज्य ढह जाता है सारी कारस्तानिया धरी कि धरी रह जाती है।लेकिन वर्तमान का सच यह भी है कि इनकी तादाद इतनी बढ़ गयी है कि बहुत मुश्किल है इन्हे सुधारना,ये कोरोना और कैंसर से भी भयानक होते जा रहे हैं,कोरोना का तो टीका बाजार में आने वाला है इनका टीका कब आएगा,कहीं इतना न देर हो जाये कि इन्हे रोकना असंभव हो जाये,अभी इलाज बहुत जरुरी है अन्यथा सबसे ज्यादा समाज को यही नुक्सान पहुंचा रहे हैं।अगर इलाज नहीं किया गया तो ये समाज को दीमक क़ि तरह चाट जायेंगे,बहरी दुश्मनो से ज्यादा ये खतरनाक होते जा रहे हैं,इनके खिलाफ एक शसक्त मुहीम चलने क़ि जरुरत है।
जय हिन्द-जय समाज ।।



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