जिंदगी बड़ा मजेदार - समझाविश बाबू
रे भैया बड़ा मजेदार रे भैया
बाप है मेरा बड़ा मालदार रे भैया
फैलाया है चारोओर कारोबार
कभी खरीदता बंगला कभी खरीदता कार
पैसे के लिए झूठ बोले सौबार
अमीरों के संग खेले अठखेलियां
राजनीति में भी करे बड़े-बड़े वार
रे भैया----।।
हर दिन मने दीपावली जश्न मने हरबार
उसी के दमपर अपनी गाड़ी चले तेज रफ़्तार
रात हमारा दिन से ज्यादा रहे उजियार
शैम्पेन की बोतल खोलें हरबार
रे भैया------------।।
कहाँ गरीबी कहाँ अँधेरा हमें न दिखे एकबार
कहाँ लगाएं कहाँ उड़ाएं धन का है अम्बार
हम जब निकलें भीड़ लग जाये हरबार
हमें तो बस खाना पीना ऐश हरबार
नौकरों की फ़ौज करे सारा रैबार
रे भैया---------।।
पर एक दिन आया दुखों का पहाड़
जब गंभीर बिमारी की पड़ी मार
न आया काम दौलत न कोई कारोबार
भाग-भाग कर दिन बिताएं
डाक्टरों की फ़ौज लगाए
धन उड़ाए बेशुमार
काम न आया कोई जतन न जुगाड़
जाना पड़ा वहीँ जहाँ जाना पड़ता सबको एकबार
तब समझ में आया पैसा है बेकार
इंसानियत है सबसे बड़ा प्यार इसे ही अपनाओ मेरे यार
रे भैया--------।।



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