एगो वोटवा के खातिर - समझाविश बाबू

बड़ा गजब का खेला है,पांच साल राज करे के बाद फिर लोगन के बीच जाये के पडत है,और सारे शर्म हया को छोड़ कर दुबारा लंतरानी बतियावे के पडत है,बड़का-बड़का वादा करके तो सत्ता पाए रहे,लेकिन सब भूल गए रहे,ई चुनाव १०-२० साल बाद आवे के चाही,सार पांच साल पते नाही लगत कब बीत जात,कितना सुख से पांच साल कटत है लगते नाही की फिर चुनाव आई,पर का करीं अइसन नियमे बा।चुनाव अवते अइसन सार हलकान होए के पडत है की पूछा न भैया,पहले टिकट मांगे वालन के मारा-मरी,गठजोड़ बनावे वालन के मान मनुहार करे के पडत है ऐसा लगत है जैसे सार सब हमरे पर एहसान करत हैं,कउनो ससुर उत्तर भागत तो कउनो दक्षिण,पकड़-पकड़ के बैठावे के पडत है,उहाँ से फुर्सत मिलत है तो प्रचार आ जात है,वहूँ सार विपक्षी एक से एक शगूफा ले आवत हैं हम तुमका ई कर देब ऊ करदेब,अब हमरो  मज़बूरी हो जात हमहूँ काहें पीछे रहीं,हम उसे और बढ़चढ़कर वादा कर लेत हैइन कौन सारे के सब पूरा करेके बा,कउनो तरीके से चुनाव जीते के बा।



                                   कउनो कुछ कहत है कउनो कुछ,लाखन में तो नौकरी बट जात बा,ऐ हिसाब से जोड़ा जाये सब चुनाव के जोड़कर तो देश से बाहर के बेरोजगार बुलावे के पड़ी इतने करोड़ लोग कहाँ से अइहें ,काहें की चुनाव में  मुफ्त के हर चीज के वादा लेला   बाटेन को तो बा   नाही,हर चीज ऐसा लुटावत हैं की एक कहावत याद आ जात है की''माले मुफ्त दिले बेरहम ''जनता हो-हो करके खूब भीड़ में ताली बजावत है,का करे सपना ही सही सोचत हैं की शायद सही हो जाये,मुफ्त के हर चीज के झुनझुना ले ला,सपनन के दुनिया लेला,सड़कन,नहरन के जाल लेला,मुफ्त के मकान और राशन ले ला,पेंशन ले ला और बतावा का चाही  सब ले ला,पर वोटवा दे दा।घरे नेताजी वोटवा मांगे अइहें तो लगी कउनो सगा से बढ़कर आइल बा,दरवाजे के बहरवें से पुकरीयहें चाची गोड़ लागत हैइन सामने पड़ते ऐसा पैरवा पर गिरीहें की वइसन सार कभी हमार आपन लड़कवा भी नाही गिरत,दुःख-दर्द तो ऐसे पूछिए की जइसे संकटमोचक सबसे बड़ा यही हैं शबदन से तो फूल झड़त है,हमहुँ लोग भावुक आदमी सार बह जाइत हैइन फिर खाली झुनझुना ले के देखत रहत हैं अगले चुनाव तक।अइसन वादा के बाजार सजेला की दिमगवे चकरा  जाला की केकरे के सही मानी,केकरे के गलत।एहि कन्फ्यूजन में टी वी खोलिला की शायद उहाँ सच पता लग जाई,लेकिन गजबे हाल बा कोई कोई के आंधी बतावत बा कोई कोई के।गजबे-गजबे वादा होला चुनौआ में ऐसा लागेला प्रदेशवा और देशवा एकदम से चमक जाई,और हमलोगां के बुझल किस्मतवा भी।हेलीकाप्टरान के भरमार,गाडीअन के अम्बार धुवांधार भाषण बोलत-बोलत आंखें में आंशू,दिखे में सबसे बड़ा रहनुमा,उनके भावुकता देख हमहूँ भाऊक हो जात हैइन,ई ससुर चुनाव भी इक बाजार के तरह लागत है,आपन-आपन दुकान सजा के बैठन हैं देखा कहाँ ठीक बा।

                                     चुनाव बाद का बचेला हेलीकाप्टर के गड़गड़ाहट ख़तम हो जाला धूंवाँ हमरे लिए बचेला,सजावट सब ख़तम हो जाला उजडल खेत हमरे लिए बचेला,रोजगार सब गायब हो जाला बेरोजगारी में ठोकर खाये के लिए हम बचिला,सपना सब टूट जाला हकीकत में हम बचिला,वादा सब वादा रह जाला बाढ़,सूखा में आंशूं हमार निकलेला,चाची पांव लागि वाले के दर्शन ही दुर्लभ हो जाला जाये के बाद अगर सामने पड़जालें तो गोड़े पे गिरे के हमार बारी रहेला,हम तो पसीज जात रहलीं पर वहां से कउनो उम्मीद नइखे।ई सब होए के बाद भी हमार आँख नाही खुलेला ,हम जाति-बिरादरी धरम के फेर में पड़ल रहिला,न गुंडा-बदमाश देखिला न ही चरित्र और न ही पहिले के काम,भेड़ियाधसान  के तरह आपन वोट लुटा देइला फिर हात मलत रह जाइला,जब सोचे के टाइम रहेला की कौन पड़ल-लिखल बा कौन कइसन बा तब तो हम नाही सोचिला ,तो हमार कउनो हक़ नाइ बा की चुनाव बाद हम शिकायत करीं,यही हाल रही तो दुर्दिन कभी न मिटी बस आंशूं ही साथ में रही अबहू समय बा सुधर जा नाही तो फिर हात पर हात धरे बैठा रहिया।समय सही बा पहचान ला कौन कितने पानी में बा वोटवा के सदुपयोगे न करा बल्कि सबे लोग घर से बाहर निकला वोट देवे के लिए,कइसन देश के दुर्भाग्य बा की ५०-६० प्रतिशत लोग वोट देलें बाकि घर बइठ के पूरे देश-विदेश के चर्चा करेलें और वोट देवे में नानी मरेला।चेता भैया खुद जा सबके लेजा लेकिन कसम खाके जा की सही आदमी के वोट देबा गलत नाही,अबकी उम्मीद न तोड़िहा।तुहार किस्मत तुहरे हाते में बा। 

                                      अबकी सही सही करा मतदान 

                                      सबही करा मतदान ओ भइया

                                      मत चूका अबकी जवान ओ भइया 

                                      न सोचा जात-पात न धरम-ओरम

                                      सोचा बस कईसे देश बनी महान

                                      अबकी सबही खुल के करा मतदान ।। 

टिप्पणियाँ

  1. रवि बिहारी
    कुछ भी हो बिहार में गुंडाराज नीतीश जी ने ही काम किया है वरना पहले तो रिक्शा वाले तक कि दिन को मजदूरी तक लूट ली जाती थी।

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