खतरा बढ़ाता कोरोना

अब ऐसा लगता है कि कोरोना को सामान्य रूप में ले लिया गया है। लगातार कई दिनों से ६०००० मरीज प्रतिदिन बढ़ रहे हैं ,मौते भी हो रही हैं। कुछ जिले तो सबसे ज्यादा प्रभावित हैं ,वहां ३०० का भी आंकड़ा पार कर जा रहा है ,और मौते भी लगातार होती जा रही हैं ,और हम केवल यही पढ़ रहे हैं की अब घर-घर जांचे होंगी ,हॉस्पिटल बड़ा दिया गया है ,पर जमीनी हकीकत क्या है ये तो पीड़ित ही जानता है।सड़क पर, गली मुहल्लों में,बाजारों में मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा  रहा है ,हो भी नहीं सकता क्यूंकि इतनी फ़ोर्स नहीं है की गली-गली पालन करा सके। आम जनो में भ्रम भी बना रहता है की सावधानी के लिए क्या करें ,क्या न करें ,सभी अपने-अपने तरीके से काढ़ा ,दवा ले रहे हैं ,लेकिन इससे क्या फ़ायदा है ?



कल ही मात्र प्रयागराज में ही ३३८ मरीज पाए गए ,इसी तरह अन्य कई जिले हैं जहाँ संख्या अधिक बढ़ रही है ,आखिर कब तक हम ऐसे ही सामान्य तरीके अपनाते रहेंगे ?जिस तरह से मरीज बढ़ना कम नहीं हो रहे हैं ये कोई शुभ  संकेत नहीं है। हम केवल अनुमान से कैसे विश्वास करें की धीरे-धीरे ये कम हो जायेगा,जब की प्रतिदिन की संख्या घट नहीं रही है हर व्यक्ति हॉस्पिटल जाने से डरता है। हम धीरे -धीरे अन लॉक डाउन  की ओर बढ़ते जा रहे हैं ,और कोरोना तेजी से पीछे पड़ा हुआ है। अभी कोरोना वैक्सीन आने में वक्त लगेगा ,ऐसे में हमे वैकल्पिक व्यवस्था क्या नहीं करना चाहिए ?

                                       जब बिलकुल मरीज न के बराबर थे तब लाकडाउन हुआ था ,अब क्या एक सप्ताह के लिए भी लाकडाउन नहीं किया जा सकता ,रोजी-रोटी और जीवन में कौन महत्वपूर्ण है ये आज सोचना होगा ,मृत्यु दर कितना भी कम हो मर तो इंसान ही रहे हैं ,तो क्या उनका जीवन बचाना जरुरी नहीं है ?दो दिन के लाकडाउन का कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है ,आंकड़ेबाजी  से कोई भला  नही होने  वाला है ,ठीक होने का दर ज्यादा है ,मृत्यु दर कम  है ,इससे क्या होने  वाला है |उनके दिल से पूछा जाये जिनके यहाँ मृत्यु हो रही है या फिर सीरियस कंडीशन में हैं ,या भर्ती होने के स्टेज में हैं ,क्या उनके प्रति हमारी जिम्मेदारी नहीं है ?जीवन से बढ़कर कोई चीज नहीं है ,जब जीवन ही नहीं  रहेगा तो कौन सा लाभ लेंगे ?या फिर ऐसा करें की सभी का बीमा हो  जाये |

                                    अब समय आ गया है  एकबार पुनः लाकडाउन पर विचार कर लागू करने का भले ही एक सप्ताह का ही क्यों न हो ,जीवन प्रतयेक नागरिक का महत्वपूर्ण है इसलिये उसे बचाने का हर संभव प्रयास करने की जिम्मेदारी  भी हम पर है ,इससे हम  बच नहीं सकते|अन्यथा जैसे चल रहा है सब कुछ भगवान् भरोसे छोड़ दिया जाये जैसा की हमारी आदत में शुमार हो गया है |

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