कोरोना का वार - लगातार - समझाविश बाबू
कोरोना का वार लगातार तेजी से बढ़ रहा है ,इसकी लगातार हो रही संख्यात्मक वृद्धि को देखकर आम जनमानस न केवल चिंतित होता है अपितु भयग्रस्त भी हो जाता है। जितना जांच का दायरा बढ़ रहा है उतनी तेजी से संक्रमित लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है ,हांलाकि अभी जांच उस तेजी से नहीं हो पा रहे हैं ,जितनी की होनी चाहिए।लगातार तीन-चार दिन का आंकड़ा देखें तो ५५००० से लेकर ६४००० तक संक्रमित मरीज बढ़ रहे हैं , अभी तो जांच से एक बहुत ही बड़ा तपका छूटा हुआ है ,इसके लिए जांच के न केवल सेंटर बढ़ाने होंगे बल्कि लोगों में ये विश्वास भी बढ़ाना होगा की जांच सेंटर पर किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा और बहुलियत से जांच हो जायेगा ,अच्छा तो है यदि वहां ज्यादा समय लगे तो वहां बैठने का और कुछ चाय या काढ़ा का ही इंतजाम अवश्य हो। जनता को ये लगे की वहां जाना और जांच कराना एक संघर्ष के समान नहीं है अपितु मित्रवत माहौल में जांच हो जाएग। क्यूंकि आमजन ही को सबसे अधिक कठिनाई है ,उसे बाहर भी निकलना मज़बूरी है और बचना भी जरुरी है।साथ ही अब जो अत्यंत लापरवाही से सड़कों पर बिना मास्क और दूरी के बेधड़क घूम रहे हैं उन्हे पेट्रोलिंग करके शक्ति से रोका जाये ,कोई ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाये की दुबारा गलती करते मिलें तो शक्ति से निपटा जाये। गली-मुहल्लों में अक्सर बिना मास्क के कई दोस्तों की टोली चाय और पान की दूकान पर मिल जाएंगे , एक नया फैशन चला है मास्क को गले में लटकाने का ,जो कही से उचित नहीं है।
एक बुरे दौर से हम निकले हैं जब देश की रीढ़ कही जाने वाले श्रमिक विभिन्न प्रदेशों में लाकडाउन के दौरान फंस गए थे और कितनी विषम परिस्थितयों का सामना करते हुए एक तरह से अपनी जान की बाजी लगाकर अपने घर पहुँच पाए। सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल और कई हफ़्तों में पूरी किये ,भूख-प्यास की उन्हे चिंता ही नहीं थी ,होती भी तो क्या करते मजबूर थे। कुछ ऐसी दिल दहला देने वाली घटना भी घटी जो अत्यंत पीड़ादायक और रुला देने वाली थी। उसमे हमारे देश के कुछ सक्षम लोग जो कुछ मदद कर सकते थे वो केवल ट्यूटर ,फेसबुक,इंस्टाग्राम या सोशल मीडिया पर ही सक्रियता दिखाते रहे ,कुछ लोग अपने व्यक्तिगत कार्यों को शेयर करते रहे और उसे इस प्रकार से पेश करने का प्रयास किया जाता था की जैसे उन्होने कोई अचम्भा का काम कर दिया। उसको लाइक भी खूब किया जाता रहा।
ये अवश्य है की इस वैश्विक आपदा के समय कुछ नाम ऐसे भी तेजी से समाज में फ़ैल गए जिन्होने वास्तव में एक सराहनीय और अनुकरणीय कार्य किये और अभी कर भी रहें हैं ,उसमे सक्रियता के लिहाज से देखें तो सबसे अधिक सम्मान के साथ सोनू सूद का नाम लिया जा सकता है उन्होने न केवल ऐसे लोगों को घर पहुँचाया बल्कि भोजन की भी व्यवस्था की ,सबसे महत्वपूर्ण है की धनराशि तो कई मुहैया करा देते हैं किन्तु स्वयं उपस्थित होकर चीजों को व्यवस्थित करना और कुशल निर्देशन देना ये अपने में बड़ी बात है ,इसके लिए वो और भी प्रंशसा के पात्र हैं की अभी भी लगातार अभियान चलाये हुए हैं।
सरकार को गहन मॉनिटरिंग की जरुरत है ,क्यूंकि लगातार अनलॉक की व्यवस्था बढ़ती ही जाएगी ,नयी-नयी चीजें शामिल होती जाएगी ,तो,ऐसे में बहुत आवश्यक हो गया हैकि व्यवस्था इतनी सुगमता से चले की जांच,इलाज संसाधन की कोई कमी किसी स्तर पर न हो पाए। आमजन के मन में भय न व्याप्त हो बल्कि निडर होकर जांच व इलाज कराएं। यह भी सुनिश्चित किया जाना होगा की यदि कोई ऐसा व्यक्ति जो अकेला कमाऊ सदस्य है और कोरोना संक्रमित हो गया है तो उसे जीवन -यापन में कठिनाई का सामना न करना पड़े। साथ ही एक और छेत्र में कठोर प्रयाश करना होगा जो व्हाट्स अप ,यू ट्यूब ,फेसबुक में नई-नई खबरे चलने लगती हैं वो अगर जांचा परखा हो तो ही चले अन्यथा नहीं ,इससे भ्रांतिया फैलने के साथ भय भी फैलता है। आज ही व्हाट्स अप पैर एक न्यूज़ चल रहा था की एक निजी लैब का रिसर्च है किभारत में हर ४ में से १ व्यक्ति को कोरोना संक्रमित होने का खतरा है इसी तरह दिन-प्रतिदिन एक न एक दवा और काढ़ा भी आ जाता है ,उसी में किसी न किसी डॉक्टर का मंतव्य भी आ जाता है की अमुक काढ़ा ज्यादा पीने से शरीर को नुक्सान भी हो सकता है। अतः ये सरकार की जिम्मेदारी है और कर्त्तव्य भी है की इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए हर तीन-चार दिन पर न्यूज़ बुलेटिन के माध्यम से सही जानकारी जनता को दी जाये ,अब तो यही कहने को मन कर रहा है कि ---
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कब जाओगे कब जाओगे
कितने जिंदगी को तूने मुश्किल में डाला
कितनो को तूने मौत दे दिया
कब चुपके से आके तुम फ़ैल गए
लोगों के जीवन में जहर घोल दिए
अब तो चले जाओ ,अब तो चले जाओ
तुम्हे तुम्हरी मातृभूमि पुकार रही
बाहें पसार कर तुम्हे बुला रही
उन्ही को जाके गले लगाओ
अब नहीं जाओगे तो जिन्दा नहीं जाओगे
वैक्सीन आते ही यही दफ़न हो जाओगे
अब तो चले जाओ अब तो चले जाओ ।।




सोनू सर पे सिर्फ 1 पैराग्राफ नही पूरा आर्टिकल होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंaagey se vichaar karengey
हटाएंNyc
जवाब देंहटाएंthanks
हटाएंBahut badiya ��
जवाब देंहटाएंthanks
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