का हो रमेशर - समझाविश बाबू
आज बहुत दिनन बाद हनुआ रमेशर के घर गइस है ,रमेशर दरवाजे पर तख्ता पर पालथी मार कर बइठ के चाय पियत रहे। हनुआ के देखते ही आंखें के चमक बड़ गए ,हनुआ से बहुत दिन बाद आवे के शिकायत करे के बाद अपने मेहरारू के आवाज दे के हनुआ के लिए चाय बोलके दुनो बातन में मशगूल हो गए।रमेशर हनुआ से पूछिस की आज बड़ा परेशान दिखत हौ का बात है। हनुआ बोलिस का बताईं रमेशर भैया हमरे घरे सोमेशवा और बसेसर आए रहे बड़ा परेशान रहे। रमेशर तपाक से पूछिस ई कौन हैं ,हनुआ बताइश की गऊआं के उत्तर में अंतिम छोरवा पर जउन कालका और दिनेशर के घरवा बा उनहीन के लड़का हैइन। रमेशर कहिस समझ गए हो कभी -कभार ही जावे के हो पावत ओहर एहि लिए भूल गए रहे ,खैर छोड़ा का भै बतावा ,हनुआ बोलिश का बतायीं हो सोमेशवा बेचारा एगो खेत बहुत जतन के बाद ख़रीदा रहा ,वही के नाम चढ़ाये बदे तहसील के चक्कर लगावत-लगावत परेशान हो गए ब,कहत है कभी पेशकार साहेब के पास भेजत है और कभी साहेब पेशकार के पास। पेशकार कहत है की मुकदमा लड़े के पड़ी बड़ा परेशान हो जाबा,कुछ समझ ला तो बात करीं साहेब से ,यही हाल बसेसर के बा ऊ बेचारा एगो आवास बदे बलाके के चक्कर लगावत है कभी प्रधानजी के कभी पंचायत सेक्रेटरी के ,सब गोल -गोल घुमावत हैं।यही सोच -सोच के हम तीन-चार दिनन से परेशान हैइन की का सीधे से कउनो काम नहीं हो पावत ,सब परिक्रमा से ही होत है का ,ईमानदारी नाम के भी तो कउनो चीज़ है ,का ईमानदारी धीरे-धीरे ख़तम होत बा ,गजबे हाल बा ,चला अब हम दुनो लोग ईमानदार ढूंढा जाये ,संजोग से मैं भी उसी गांव में काम से गया था ,बहुत देर से उन दोनों की बात सुन रहा था मैं जोश से भर गया की मैं बताता हूँ मैं ईमानदार हूँ ,मैं जैसे ही कदम बढ़ाया की मेरे अंदर अंतर्द्वंद चलने लगा कि क्या मैं स्वयं में ईमानदार हूँ ,मैं तर्कों से अपने को सही साबित करने पर लगा था कि मैं तो १६ आने ईमानदार हूँ पर अंतरात्मा गवाही नहीं दे रहा था ,आवाज आ रही थी कि थोड़ा तो लेते हो कि नहीं ,मैं तर्क देने में स्वयं को लगा था कि दाल में नमक खाना बेईमानी नहीं है ,किन्तु अंतरात्मा इसकी गवाही नहीं दे रहा था ,अंत में मेरी हिम्मत नहीं पड़ी और मैं मुँह लटकाये वापस हो लिया ,उनसे नजर मिलाने कि हिम्मत नहीं पड़ी। देखिये क्या जमाना आ गया है दाल में नमक खाना ईमानदारी कि परिभाषा में आने लगा है ,मैं तो खरा नहीं साबित हुआ औरों का पता नहीं।आपलोग भी ढूंढिए मिल जाये तो बताइये ,मैं भी दर्शन कर लूंगा.



Ek dum sahi likhen hai ��
जवाब देंहटाएंdhanyavaad
हटाएंKripya khadi boli me hi likhen
जवाब देंहटाएंsujhav ke liye dhanyavaad
हटाएंVery nice��
जवाब देंहटाएंDhanyavaad
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