नाग देवता - नाग पंचमी - समझाविश बाबू
आज नागपंचमी का पर्व है ये प्राचीन काल से मनाया जाता है श्रावण शुक्ल पंचमी को ये त्यौहार मनाया जाता है। नागों की पूजा मानव कल्याण के लिए किया जाता है। भगवान् शिव तो उन्हे गले में धारण किये रहते हैं।ये भी मान्यता है की नाग देवता की पूजा करने से इनके भय से मुक्ति मिलती है। इस दिन सांपों को दूध पिलाने की परंपरा है। नाग पंचमी का त्यौहार तब शुरू हुआ जब राजा जन्मेजय के पिता परीक्षित को सांपो के राजा तक्षक ने डंस कर मार डाला था ,जिसका बदला लेने के लिए पूरी नाग जाति को खत्म करने के लिए राजा जन्मेजय ने यज्ञ का आयोजन किया था ,जिसदिन अस्तिका ऋषि के हस्तक्षेप से यज्ञ को रोका गया था उसी दिन से नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।
आज के समय में नाग से तो बचा जा सकता है ,उसे देखकर बचकर निकला जा सकता है ,उससे बचकर निकलना आसान है ,क्यूंकि उसे देखकर तत्काल पहचाना जा सकता है। संपेरे उसे बीन बजाकर नियंत्रित कर सकते हैं ,उसे पाल भी लेते हैं। किन्तु आज जो समाज में नाग रूपी इंसान घूम रहे हैं इनसे बचना बहुत ही कठिन है,क्यूंकि इन्हे आप पहचान भी नहीं सकते। कुछ तो दिखने में एकदम भोले-भाले होते हैं पर कोबरा से भी खतरनाक होते हैं,आप ही के साथ रहकर कब डंस लें पता ही नहीं चलेगा। आयेदिन इसके अनेकानेक उदाहरण मिल जाएंगे ,किस वर्ग में ये बहुतायत पाए जाते हैं ये आप सभी बखूबी जानते हैं ,इसको विस्तार से बताने की जरुरत नहीं है,जहाँ मान्यता है की दूध पिलाने से नाग देवता प्रसन्न हो जाते हैं और शांत हो जाते हैं वहीं इनको दूध पिलाने से ये और खतरनाक हो जाते हैं ,ज्यादातर तो ये दूध पिलाने वाले को डंस लेते हैं,इनको बहुत ही विशेष प्रकार के सपेंरे जो इन्ही के प्रजाति के होते हैं वोही बस में कर पाते हैं और उनके इशारे पर ये वास्तविक सांप से भी अच्छा नाचते हैं ,क्यूंकि ऐसे विशेष प्रकार के सपेरे ऐसे नागों से खेलने में माहिर हो जाते हैं ,उनसे अपने अनरूप काम लेते हैं ,भगवान् शिवजी भी इतने नागों को कहाँ तक सर पर लटकायेगे ,आज समाज में जहाँ वास्तविक नाग देवता को दूध पिला कर पूजा कर परंपरा जीवित रखने की जरुरत है वहीँ ऐसे नाग जो मानवरूप धारण किये हैं उनके फन को कुचलने की जरुरत है। हम सब को मिलकर ऐसे सांपो को डसने से पहले उनके विष को निकालने की जरुरत है ,उनका सामाजिक बहिस्कार करने और जरुरत पड़े तो इन्हे जैसे सांपो को सपेरे पिटारे में बंद करते हैं इन्हे भी जेल के सलाखों में पहुंचाने की जरुरत है। यही सच्चा नाग पंचमी का त्यौहार मानने का तरीका होगा।



अति सरल वयाख्यान
जवाब देंहटाएंthanks
हटाएंबहुत ही सरल एवं उत्तम लेख ��
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जवाब देंहटाएंआजकल कुछ धर्म के ठेकेदार जो खुदको महान पण्डितरूपी बताते है और आपकी सम्पत्ति हड़प करके सारा दोष ग्रहों को दे देते है, ये आज के युग के सबसे बड़े सांप है, मैं खुद पंडित हु पर ऐसे लोगो के खिलाफ हमेशा आवाज उठाते आयी हूँ एक लेख इसपे भी होना चाहिए। आपका
bilkul sahi
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जवाब देंहटाएंऋतु जी की बात से मैं भी सहमत हूं अब वक्त आ गया है ऐसे सांपो को हम बहिस्कार करें और अपने घरों को बचाये।
जवाब देंहटाएंआप लोगो से पूरा सहमत हूँ ऋतु जी को मैं 1 वर्ष से फॉलो कर रहा हूं और मैं भी उन्हह अपना भूत काल अवगत करा चुका हूं कैसे मुझे पूजा पाठ के नाम परठगा गया हासिल कुछ नही हुआ बस मेरी हरकतों से ग्रहस्थ जीवन अवसाद का शॉकर हुआ
जवाब देंहटाएंAap bas sabko khush rkhe sbke liye acha soche yhi bas sukhi jeevan ka adhaar h
मुझे तोह शॉक तब लगता है जब ट्विटर पे ऐसे ढोंगी बाबाओं को ट्रेंडिंग टॉपिक्स में पाता हूँ आज भी कैसे पढ़े लिखे लोग इन सब पंडित, बाबाओं के चक्कर मे आ जाते है।
जवाब देंहटाएंBilkul such ye log dharm ke naam par bas andhvishvaas faila rahe hai ye pooja kar lo, ye upvaas dhar lo bas yahi sab btate hai aur paisa lete rahte hai in logo ke chakkar mein pad gye to smjho zindagi bhr ye log bs hme upaay pat uapaay batate jayenge aur paisa khate jayenge
जवाब देंहटाएंsatya
हटाएंआज के समय मे सबसे बड़ा वरदान गीता है जिसमे कैसे अध्यात्म मेडिटेशन के रास्ते भगवान को अपने अंदर पा लेने का सरल उपाय है हमारे पास सारे सुख के रास्ते मुफ्त में उपलब्ध है फिर भी हम न जाने क्ययो भटक गए है।
जवाब देंहटाएंजय श्री गीता
satya vachan
हटाएंAti uttam vichaar
जवाब देंहटाएंdhanyavaad
हटाएंBahut badiya
जवाब देंहटाएंढोंगी पंडितों पर जरुर लिखे जो लोगों की घर गृहस्थी में आग लगा रहे है
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