कोरोना का पुनः वार हमें क्या? - SAMJHAVISH BABU [ HINDI BLOG ]
ब्रिटेन से आयी खबर निश्चित रूप से डराने वाली है,यहाँ की राजधानी लंदन सहित पूर्वी इंग्लैंड में कोरोना वाइरस का नया प्रकार(स्ट्रेन)अत्यंत ख़राब स्थिति उत्पन्न कर रही है,बताया जा रहा है की ये पहले के मुताबिक ७०%ज्यादा खतरनाक है,इसकी गंभीरता को देखते हुए भारत सहित कई देशों ने इंग्लैंड के उड़ानों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है,ब्रिटेन ने लॉकडाउन भी लगा दिया है,अभी इसके बारे में बहुत ही पुख्ता जानकारी नहीं है की क्या असर व कैसा असर होगा,जो टीका आ रहा है वो कितना इफेक्टिव होगा,लेकिन कुछ भी हो ये तो सत्य ही है की एक और कठिन और विकट परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है,क्यों कि हमारी आबादी ज्यादा है और संशाधन बहुत कम,और कोढ़ में खाज भ्रष्टाचार अलग से,हमारे यहाँ विपदा में भी भ्रष्ट अधिकारी अवसर तलाशते हैं और अंजाम भी दे देते हैं।
आज कि परिस्थिति जो दिखाई दे रही है हमें तो नहीं लगता कि हम बहुत चिंतित हैं इसे लेकर,बाजार,माल,बस स्टेशनो,होटलों,रेस्टोरेंटों आदि में,इसके अलावा धार्मिक स्थानों पर हमलोग जिस तरह घूम रहे हैं इससे तो लगता है कि कोरोना चला गया है,हम निडर होकर घूम रहे हैं,इसे मैं बहादुरी समझूँ या फिर घोर लापरवाही,मैंने कई ऑफिसों में देखा हूँ कि मास्क गले में लटकाये घूम रहे हैं,सोशल डिस्टैन्सिंग का पालन तो न के बराबर हो रहा है,कैम्पसों में इतनी भीड़ हो जा रही है कि पालन हो ही नहीं सकता,हम भी बिलकुल लापरवाह हो चले हैं,इसके अलावा सबसे चिंताजनक है राजनीतिक दलों द्वारा प्रायोजित रैलियों,सभाओं,रोड शो में जुट रहे भीड़ों का है,एक दूसरे को शक्ति प्रदर्शन में पछाड़ने की होड़ में कोरोना को भुला बैठें हैं,ये सब एक कारण बनते जा रहे हैं कोरोना के प्रति हमें लापरवाह बनने काअगर ऐसे ही सब कुछ चलता रहा तो भगवान् न करे कोई कोरोना की दूसरे मार से
कोई गंभीर स्तिथि पैदा हो,क्यूंकि हम तो उसे पूरा मौका दिए बैठे हैं।मुझे ये नहीं पता चला कि कोरोना टेस्ट का क्या स्ट्रैटजी है,कैसे किया जा रहा है,समझ से परे है,अब तो जो आंकड़े दिए जा रहे हैं उससे तो यही लगता है कि अब कोरोना ख़त्म हो गया है,अब आराम से घूमिये,कोई दिक्कत नहीं है,पान,चाय कि गुमटियों पर आप को बिना मास्क लगाए बहुत से महानुभावों के दर्शन हो जाएंगे,धीरे-धीरे सभी कुछ खुलता जा रहा है,लेकिन उतने ही हम लापरवाह होते जा रहे हैं,हम ये भूल जा रहे हैं कि ऐसा कर के हम अपना और दूसरे का भी जीवन जोखिम में डाल रहे हैं।आज आवश्यकता है चौराहों,होटलों,ऑफिसों में रैंडमली कोरोना का परिक्षण होना चाहिए,जो कि नहीं हो रहा है।बस हम इसमें खुश हैं कि बहुत कम आंकड़ा हो गया है,लेकिन मुझे समझ में नहीं आया कि कौन से तरीके से परिक्षण हो रहा है कि अचानक जो जिले बहुत ही अधिक संख्या में प्रभावित थे बस मीटिंग हुई और इतना कारगर उपाय अपनाया गया कि एकदम से कंट्रोल हो गया,अपने यहाँ ये एक बहुत ही अच्छी चीज है हम किसी भी चीज को बहुत जल्दी नियंत्रण में कर लेते हैं,आज धरना-प्रदर्शन,रैलियां,बड़े-बड़े पब्लिक मीटिंग होना आम बात हो गया है,वहां कैसे पालन हो सकता है कोरोना के नियमो का मेरे समझ से बाहर है।आज इन सब पर एकबार गहनता से विचार करने कि जरुरत है।आज हम देख रहे हैं की कोरोना का दूसरा वार भी हमारे देश में शुरू हो गया है,केवल सरकार के प्रतिबंधों के भरोसे नहीं बैठे रहना चाहिए,हमें भी नियमो का पालन करना पड़ेगा,साथ ही शासन की तरफ से मालों,होटलों,व्यस्त चौराहों,रैलियों,ऑफिसों,और डाक्टरों के यहाँ आकस्मिक और रैंडम्ली परिक्षण होना चाहिए,साथ ही समाचारपत्रों,पम्पलेटों के माध्यम से इसमें क्या लेना जिससे न हो और होने के बाद क्या लेना उसे बताया जाये।कुछ जगहों पर थोड़े समय के लिए ही यदि आवश्यक हो तो लॉकडाउन अवश्य लगाया जाये।जहाँ भी सार्वजनिक स्थान हैं वहां नियमो का कड़ाई से पालन कराया जाये,इसमें कोई शिथिलता न बरती जाये।एक्सपर्ट डाक्टरों का ज्यादा से ज्यादा विचार और सुझाव प्रसारित कराया जाये।
मात्रा कुछ चैनलों ने कुछ एक्सपर्ट डॉक्टरों का साछात्कार कराकर लोगों को जागरूक किया है ,यद्यपि उनका प्रयास सराहनीय है ,पर ये नाकाफी है ,इसे व्यापक रूप देने कि और एकबार पुनः लॉक डाउन पर विचार करने कि जरुरत है।क्यूंकि मेरे परिचित ही चाहे वो नौजवान क्यों न हों कोरोना पॉज़िटिव होते ही घबड़ा जा रहे हैं ,मानसिक रूप से डिप्रेस हो जा रहें है ,सरकारी हॉस्पिटल में जाने से कतरा रहे हैं ,इन सबको देखते हुए एक बार ही सही विचार जरूर करना चाहिए।न कुछ तो कम से कम भीड़ को तो नियंत्रित और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जाये।आज एक नयी चीज देखने को मिल रही है की बड़े मुश्किल से कोरोना का वैक्सीन आया उसे लगवाने को लेकर विरोध हो रहा है,कुछ कट्टरपंथी इसे धार्मिक जामा पहनाने में लगे हैं,मैं ये समझ नहीं पा रहा हूँ की जब सबसे पहले स्वास्थ कर्मियों को लग रहा है तो और सबको क्या दिक्कत है,हम कह रहे हैं की सबसे पहले हमीको लगे तो क्या दिक्कत है?एक तो शिद्दत से इन्तजार था की वैक्सीन आये आ गया तो जबरदस्ती का विरोध,ऐसे लोगों के साथ सरकार को शक्ति से निपटना चाहिए,यदि नहीं मानते हैं और तरह-तरह की भ्रांतिया फैलते हैं तो इनके जैसे लोगों के साथ कोई नरमी नहीं बरतनी चाहिए।अभी एक दल के सम्मानित व्यक्ति का स्टेटमेंट सुनने को मिला की हम वैक्सीन नहीं लगवाएंगे,इसे पार्टी विशेष से जोड़ के देखा जा रहा है,मेरा ये कहना की क्या सभी पार्टियां अपना-अपना वैक्सीन बना लेंगी,इतनी कूबत है क्याये तो जिंदगी का सवाल है इसमें तेरा-मेरा कहाँ से आया,बनाने वाले तो हमारे देश के होनहार,महत्वपूर्ण वैज्ञानिक हैं वो किसी पार्टी के तो हैं नहीं,जीवन बचाने के लिए जो भी आवश्यक हो उसे करना चाहिए,यहाँ तो राजनीत नहीं होनी चाहिए,जब आप आइयेगा तो आप जिंदगी बेहतर बनाने के लिए जो अच्छा लगे वो करियेगा,किन्तु टीके का राजनीतिकरण न हो,सबसे ज्यादा बंटाधार राजनीत ही किसी चीज की करती है हर चीज में जुड़ जाता है अरे भाई आप अपना बना लो और खुद लगा लो,इसकी क्रेडिट किसी पार्टी का नहीं है ये हमारे वैज्ञानिको का है,कोई लेता भी है तो बेमानी है।नहीं तो सभी पार्टियां स्टाल लगा लें अपना-अपना टीका बनाकर फ्री बांटे,मात्रा विरोध के लिए कौन सा विरोध है ?इस समय जनता का जीवन सबसे महत्वपूर्ण है,जान है तो जहान है।



Bahut sahi bat likhe hai last paragraph tobahut hi sahi h
जवाब देंहटाएंdhanyavaad
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